Tuesday, May 19, 2015

वेदना में कराहती है ,नारी


वेदना में कराहती है ,नारी
-----------------------------
बनाया जिन्हें ख्यातिलब्ध व्यक्ति ,शारीरिक सौष्ठव ,रूप सम्मोहनों में हमने
न करके उनके कुकृत्य ,अपराध तिरस्कृत ,भुला दिये कर्तव्य समाज के हमने  

प्रशंसक होकर ,आँख मींच कर अनुशरण ,धनवान भी उन्हें बना दिया है हमने
समाज को क्षति पहुँची ,दम्भ बढ़ते गये उनके ,ये भी अनदेखा कर दिया हमने 

पथ जो दिखाया हमें उनने, नशा ,शराब और सेक्स में ही समझा जीवन हमने 
नारी की वहाँ हत्या ,आत्महत्या विवशता ,शोषण में उलझा देखा जीवन हमने   

देर से लेकिन समझी जो अभिनेत्रियां दुनिया में उनकी गुमनामी देखी है हमने
भुगता जो शोषण साहस न हुआ कहने का ,वे भटकाती पीढ़ी को देखी है हमने 

अय्याश पुरुष को चाहिए जो धन ,शबाब, शोहरत उसे स्थापित करदी है हमने 
मानवता के प्रत्यक्ष न सही परोक्ष अपराधी ,देखने की दृष्टि भी खो दी है हमने 

वेदना में कराहती है ,नारी ,एक अभिनेत्री की हत्या का समाचार देखा है हमने
अनेकों हैं शोषित ,उन्नति छलावों से ,परदे के पीछे का सच नहीं देखा है हमने
--राजेश जैन
19-05-2015

No comments:

Post a Comment