Thursday, April 2, 2015

प्यार में फर्क होता है

प्यार में फर्क होता है
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प्यार के व्यापक अर्थ होते हैं , उनमें न जाकर उसी का उल्लेख करते हैं ( हालाँकि प्यार शब्द का मीनिंग ऐसा नहीं है , किन्तु वासनापूर्ती को अभी प्यार कहा जाने लगा है। ) , जो आजकल प्यार कहा जाता है। अर्थात नारी -पुरुष के बीच का प्यार। भारतीय परिवेश में ,ऐसे प्यार में फर्क होता है। पुरुष के प्यार और नारी के प्यार में अंतर होता है।
?? … पुरुष के प्यार में शारीरिक संबंध/अपेक्षा प्रमुख होती है , जबकि नारी -विवाह होने तक बचना चाहती है।
?? … शुरुआत से ही पुरुष प्यार के होने से भय नहीं रखता है। नारी , आरम्भ से ही इस कशमश में होती है , प्रेमी निभाएगा या बीच छोड़ कभी चला जायेगा , अर्थात शादी होगी भी या नहीं।
?? … पुरुष प्यार में गंभीर ही होगा जरुरी नहीं , नारी प्यार में पड़ गई तो गंभीर ही होती है। पुरुष को भय नहीं क्योंकि विवाह हुआ भी तो वह आकर उसके और उसके परिवार के साथ रहेगी। नारी , भयभीत होती है , जिस परिवार में पहुँचेगी - उसे निभाया जायेगा , सम्मान मिलेगा या नहीं।
?? … पुरुष प्यार करेगा तो विवाह कर घर बसाना ही चाहेगा जरूरी नहीं। किन्तु नारी , प्यार करेगी तो यही चाहेगी उसका घर बसे , सम्मान मिले , सुरक्षा मिले और उन्नति के अवसर मिले।  क्योंकि प्यार करने पर धोखे की शिकार हुई तो उसके ये सारी बातें खतरे में पड़ती है , अर्थात घर ,सम्मान , सुरक्षा और उन्नति के अवसर।
?? … क्योंकि बदल गया बहुत कुछ लेकिन अब तक , विवाहित पत्नी से अपेक्षा ,संबंध में वफादारी की ही होती है। पुरुष अपने रसिकपने के कई बहाने कर बच निकलता है।
इसलिए प्यार से अपेक्षायें अलग होने के कारण प्यार में फर्क होता है।
--राजेश जैन
02-04-2015

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