Friday, April 3, 2015

दूसरे के पिता एवं भाई की दृष्टि

दूसरे के पिता एवं भाई की दृष्टि
------------------------------------
"दूसरे के पिता एवं भाई की दृष्टि , नारी के लिए दोषरहित नहीं होती " आज लिखा जा रहा है जो पहले के समाज में भी अनुभव में रहा है।
भारतीय समाज का उभर रहा नया दृश्य आज धुंधला है , जिसमें तीन तरह के व्यक्ति हो गए हैं।
1.  जो परिवार में आनंद से रहते हैं।
2. जिनके परिवार होते हैं , पर कलह होने से बिखरते और फिर नए साथियों के साथ बनते रहते हैं।
3.  जो परिवार नहीं चाहते हैं।
यह दृश्य अभी 2 और 3 तरह के व्यक्ति तुलनात्मक रूप से कम होने से धुँधला है , कुछ समय में ऐसे व्यक्ति बढ़ जायेंगे तो परिदृश्य स्पष्ट हो जाएगा।
कैटेगरी 1 , के व्यक्ति के लिए भी उल्लेखित प्रथम पंक्ति का वाक्य लागू होता है , किन्तु इसके नारी एवं पुरुष सदस्य इस दोष से सावधान रहकर जीवन यापन की कला जानते हैं।  परिवार को और समाज के अन्य व्यक्तियों को इस दोष से क्षति नहीं हो , इसके स्टैंडर्ड, आचरण और कर्मों में पालते हैं , इसे मर्यादा और संस्कार कहते हैं।
कैटेगरी 2 , के व्यक्ति आज भारतीय समाज में बढ़ रहे हैं , जो विवाह के पूर्व एक से अधि गर्लफ्रेंड /बॉयफ्रेंड रखते हैं , फिर विवाह के बाद भी उन्हीं आदतों को जारी रखते हैं , जिससे उनके परिवार डिवोर्स और पुनर्विवाह से बिगड़ते एवं बनते रहते हैं। इन्हें परंपरागत संस्कार या तो मिले नहीं होते हैं या मॉडर्न और जीवन मजे के प्रचारित शैली से ये मर्यादा और संस्कार उन्हें स्वीकार्य नहीं होते हैं।
कैटेगरी 3 के व्यक्ति वे होते हैं जो ,कैटेगरी 2 के परिवार की कलह और हश्र को देखते हैं। और परिवार में रहना नहीं चाहते , वे भी स्वछँदता ,कैटेगरी 2 की तरह रखते हैं। परिवार बनाने की इक्छा नहीं करते हैं।
"दूसरे के पिता एवं भाई की दृष्टि , नारी के लिए दोषरहित नहीं होती " यह कितना भी अब लिखा जाये और चर्चा की जाए, जब स्वछँदता, आकर्षित करने के लिए आज की पीढ़ी में ज्यादा प्रसारित और प्रचारित की जा रही है , इस दोष का बढ़ना आशंकित है।  अगर हम चाहते हैं ऐसा न हो तो विरोध बुरे पुरुष से ज्यादा बुराई के सोर्स का किया जाना चाहिये।
--राजेश जैन
04-04-2015

No comments:

Post a Comment