Tuesday, April 14, 2015

दस लाख सपूतनियाँ

दस लाख सपूतनियाँ
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31-12-2014 को भगवान दस लाख बेटियों से वरदानित दम्पति के समक्ष प्रकट हुए , पूछा शीतल जी , कैसे रहे पिछले 41 वर्ष ? शीतल जी इस प्रकार से वृतांत सुनाने लगे-

निर्दोष बचपन  
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धन्यवाद हे पूज्य भगवान वरदहस्त आपका भाता है
जो सपूतनियाँ मिली बखान को शब्द देना न आता है

अबोध उम्र में सपूतनियों के पैर पलने में दिख गए थे
बचपन से उनके विलक्षण गुण अनुभव हमें हो गए थे

स्कूल जाती हमारी बेटियाँ अध्ययन लीन हो गई थी
उनसे प्रेरित उनकी शालाओं की तस्वीर बदल गई थी 

शालाओं में उत्कृष्ट पठन -पाठन परंपरा बन गई थी
जाने आने में शाला मार्गों में बिखर गरिमा बस गई थी

न जाने उनकी आभा का कैसा अनोखा यह प्रभाव था
देखने वाले पुरुष हृदय पर अनुशासन का शासन था

उत्कृष्ट उनके परीक्षा परिणाम शाला के नाम हो रहे थे
पढ़ाने , ज्ञान सामग्री लिखने वाले देख धन्य हो रहे थे

कॉलेज में अध्ययन
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कॉलेज पहुँचने तक यौवन एवं आकर्षण उनपे आया था
ख़राब दृष्टि से उन्हें देखे कोई दुस्साहस न कर पाया था

हर बेटियों ने मेरे भगवान अद्भुत भिन्न सद्गुण पाये थे
हर अच्छे क्षेत्र में उनने अपूर्व सफलता के झंडे लहराये थे 

पढाई उपरान्त
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जिन प्रतियोगी परीक्षाओं में होती चयनित हो रही थीं
साथ युवाओं समाज को प्रगति दिशा नेतृत्व दे रही थीं

व्यवसायों में रूचि ली तो वे सद्परम्पराएं ला रही थीं
हुई डॉक्टर तो कन्या के जन्म को ख़ुशी बना रही थीं

उच्च पदस्थ हो रिश्वतों के रिवाज खत्म कर रहीं थीं
मंत्री बन देश विकास योजनाओं को मूर्त कर रहीं थीं

कार्य दायित्व निर्वहन
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समर्पण दायित्वों प्रति ,कर्तव्य परायणता उनमें थी
जहाँ कार्यरत वे होतीं ,परिणाम निर्भरता उन पर थी

नारी -पुरुष समानता
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नारी जात इनने सद्गुणों से अपना महत्व बनाया था
पुरुषों से अधिक अधिकार ,बिन माँगे स्वयं पाया था

बुराई से बचाव
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आसपास की बुराई से उनका रिश्ता अनोखा ऐसा था
सद्प्रभाव उनका बुराई को अच्छाई में बदल देता था

सेलिब्रिटी फैन नहीं
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स्व भलाई साथ ही सर्व भले की पहचान उन्हें होती थी
न बनी बुरों की फैन ,अन्य से प्रशंसा उन्हें मिलती थी

विवाह -परिवार
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कॉलेज ,कार्यक्षेत्र में कुछ बेटियों को मीत भले मिल गये थे
हुई सयानी दूसरी बेटियाँ उनके भले रिश्ते स्वयं आ गये थे

अपने अपने घर परिवार में सब सूर्य चन्द्रमा सी छा गईं थीं
बेटी सी बहू पाकर सब की ननदें -सासु माँ धन्य हो गईं थीं

राजा -रानी
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प्रिय पति उन्हें और दामाद हमें , मिले , राजा बेटों जैसे थे
उनसे मिले सम्मान एवं प्यार में वे महारानी सी हो गईं थीं

अति स्वछंदता - सिगरेट,नशे से दूर
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दुनिया में जो चली नारी की थोथी आजादी की रीत थी
जहाँ पहुँची देश में ये बेटियाँ न फ़ैल सकीं ये कुरीत थी

नारी शोषण , छल से बचाव
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दुनिया में नारी के शोषण खातिर गलत बहकाया था
बेटियों ने पुरजोर प्रयासों से यहाँ फुलस्टॉप लगाया था

बेटियों से धन्य पिता का धन्यवाद ज्ञापन
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अप्रभावित बुराइयों से आज किया प्रभावित सबको
दीं सपूतनियाँ विलक्षण ,धन्यवाद भगवान आपको

पत्नी शीतल जी के (एक संयोग) स्वर और माथे पर उनके हाथ के शीतल स्पर्श से , शीतल जी की निद्रा टूटती है , पत्नी शीतल जी , पति शीतल जी से मधुरता से पूछती हैं , कोई सुंदर स्वप्न देख रहे थे क्या ?
--राजेश जैन 
14-04-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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