Tuesday, April 14, 2015

प्रशंसा की दृष्टि

प्रशंसा की दृष्टि
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प्रशंसा की दृष्टि नापसंद किसे ?
हमें भी प्रशंसा पसंद है
वासना हिलोरें न लेती दृष्टि हो
तो प्रशंसा हमें भी पसंद है

प्रशंसायें मिलें तो करने की लगन
हम नारी में बढाती हैं 
यही सम्मान ऐसी समानता तो 
हम नारी भी चाहती हैं

भाई -पापा इसे पहचानो तुम
नारी को अपनी ही जानो तुम
क्यों शोषण,इक्छा कुचल देते?
न भूलो सहारा हर पग लेते तुम

नारी है आधी आबादी समाज में
उसमें प्रतिभा कर गुजरने की
हमें ससम्मान अवसर दें यदि तो
देश उन्नति दोगुनी होगी 
--राजेश जैन
  15-04-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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