Monday, April 27, 2015

डिवोर्स -कुप्रथा

डिवोर्स -कुप्रथा
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तीस चालीस वर्ष पूर्व की नारी पत्रिकाओं में , प्रकाशित सामग्री और पाठकों की समस्याओं में यह विशेष तौर पर रेखांकित/आगाह किया जाता था , कि किसी भी नवयुवती का यदि विवाह पूर्व कोई प्रेम प्रसंग रहा हो तो वे उसे अपने पति से न बतायें। वह ऐसा परामर्श भी तब होता था , जबकि तथाकथित प्रेमप्रसंग , नैनमटक्का और लिखे गए कुछ प्रेमपत्र तक ही सीमित रहते थे। तर्क होता था पुरुष (पति ) अपनी पत्नी पर आधिपत्यबोध रखना चाहता है , उसे यह सच सहन करना सरल नहीं होता है , जिससे दाम्पत्य जीवन की खुशियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
यदि साठ -सत्तर या इसके पहले भारतीय समाज पर जायें , तो ऐसी पत्रिकाओं का प्रचलन कम था , किशोरियाँ पढ़ी लिखी न होती थी , इसलिए प्रेमपत्र लिखे नहीं जाते थे , चौदह-पंद्रह की उम्र तक विवाह हो जाते थे इसलिए नैनमटक्के भी नहीं होने पाते थे। पास -पड़ोस की लड़के -लड़कियों को बहन -भाई जैसे देखने समझने के घर घर संस्कार होते थे। दूसरी कुछ रूढ़ियाँ थी जिससे नारी जीवन अपेक्षाकृत ज्यादा चुनौतियों भरा तो था , हालाँकि वैवाहिक जीवन प्रायः सुखद ही होता था।
आज थोड़े -थोड़े परिवर्तन के साथ परिदृश्य बिलकुल भिन्न हो चुका है। बहनें -बेटियाँ पढ़ी लिखी होने लगी हैं। को-एड में पढ़ती हैं। फिल्मों और टीवी पर विवाह पूर्व , विवाहेत्तर प्रेम प्रसंगों को नितदिन देखती हैं। फिल्मों के लगभग सारे गीत सौंदर्य रस , प्रेमी-प्रेमिका मिलन या विरह के होते हैं। नेट और उनके मोबाइल और fb इनबॉक्स पर पुरुष वल्गर सामग्री का अम्बार लगा देते हैं। ऐसे में इसे ही जीवन रीत समझने लगती हैं। पढ़ने के बाद जॉब में पहुँची  बहनें -बेटियाँ 2 दिन के वीक एंड पाती हैं। इन वीक एंड हॉलीडेज में मेट्रो सिटीज में सिर्फ और सिर्फ पीने -पिलाने , रात्रि पार्टियों और मौज मजे के ही नारे प्रमुख होते हैं। विवाह की उम्र भी 24 के बाद की हो गई है , बॉयफ्रेंड -गर्लफ्रेंड का होना स्टेटस सिंबल सा हो गया है। ऐसे में विवाह पूर्व ,प्रेम प्रसंग एक-दो तो छोड़ें कई होने की सम्भावनायें हो गई हैं। और समाज में अभी भी विवाह प्रथा चल रही है। इसलिए ऐसी हिस्ट्री के साथ विवाह अभी भी हो रहे हैं।
आज के पति पत्नी इस हिस्ट्री का क्या करते होंगे ? शायद यही कहते होंगे , आपके पास्ट को अलग करदो अब हमारी निष्ठा एक दूसरे लिए होना चाहिए। किन्तु , जब किसी तरह पिछले संबंधों की जानकारी होती होगी , क्या कड़वाहट दांपत्य जीवन में न आती होगी ? इस कड़वाहट से ,नियंत्रण न रखने पर पूर्व संबंध भी जारी कर लिए जाते होंगे और देर रात्रि पार्टी और पीने -पिलाने के दौर में नए संबंधों के अंदेशे भी होते होंगे। इन्हीं सब के फलस्वरूप डिवोर्स नाम की कुप्रथा नए भारतीय समाज में पनप रही है।
अगर हमने आज ,गंभीर सोच समझ का परिचय नहीं दिया तो बढ़ते डिवोर्स किसी दिन विवाह प्रथा का अंत कर देंगे। और दो चार सौ वर्ष बाद के मानव समाज के सामने अति स्वछँदता और व्यभिचार नाम की कुप्रथा या कुरीति समाप्त करने की चुनौती प्रमुख हो जायेगी।
--राजेश जैन
28-04-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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