Monday, April 20, 2015

नफीसा

नफीसा
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नफीसा काल्पनिक नाम , साक्षात प्यारी बेटी का है
उम्र उसकी दस वर्ष , अनुराग उससे मुझे बेटी सा है
बोलने सुनने में असमर्थ , मुख पर भोलापन होता है
अपूर्णता ये देखकर ,प्रायः दिल मेरा रोया सा होता है

पढ़ने के न हैं स्कोप ,छोटी है करना न बहुत आता है
बाल सुलभ वह भोली , घर के बाहर खड़ी हो जाती है
गुजरते अजनबियों की दृष्टि चिंता मेरी बड़ा जाती है
उसे न कुछ लेना , लगता ज़माने ने उसे न छोड़ना है

जग जिसे पूर्णता है , सोचने में जाने क्यों अपूर्णता है ?
कमी उसे सताती है , ललचाई दृष्टि चुनौती बढाती है
क्यों हम ऐसा खाते पीते ,क्यों ऐसा सब पढ़ते देखते हैं ?
जिसे हैं जीवन में लाले , कामांध उसमें स्कोप देखते हैं

बेटी किसी की मूक-बघिर वह , उन्हें जान से प्यारी है
न सुनी उसकी किलकारी , सूरत निर्दोष उन्हें प्यारी है
उस प्यारी बेटी को , क्यों न बहन बेटी सा देख पाते हैं ?
खुदगर्ज हम ऐसे तो न जाने क्यों मनुष्य जन्म पाते हैं ?
--राजेश जैन
21-04-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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