Thursday, April 2, 2015

पुरुष होना - पुरुष का प्यार होना , ,क्या है ?

पुरुष होना - पुरुष का प्यार होना ,क्या है ?
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बाल्यावस्था से किशोर होते होते बालक को पुरुष होना अनुभव होने लगता है। कॉलेज आते तक उसे ,प्रचलित गालियों से और आसपास की कानाफूसी और घटनाओं से गलत पुरुषों की सताई नारियों की व्यथा का ज्ञान होने लगता है। एक मनुष्य जो सच मायने में पुरुष होता तब किस तरह गंभीरता से अपनी जीवनशैली तय करता है , एक कल्पना -
>> - कॉलेज स्टूडेंट पुरुष , अपने आसपास की किसी गर्ल्स को किसी पुरुष के छल में उलझती देखता है , उसे पसंद नहीं होता है . वह स्वयं किसी गर्ल के ऐसे साथ में विश्वास नहीं करता है ,जिसमें उसे ज्ञात होता है कि वह स्थाई रूप से उसे निभा नहीं सकेगा।
>> - पुरुष होने से उसके सपने में एक गर्ल तो होती है , जो जरूरी नहीं की अति सुंदर ही हो , लेकिन जो गुणी हो। जो छलों से बचती हो।
>> - यह स्टूडेंट पुरुष , अपनी पढाई में गंभीर रह पहले वैसी हैसियत बनाना पसंद करता है , जिससे सपने की उस गर्ल का जब उसके जीवन में साक्षात आगमन हो तब , उसके साथ जीवन के सच्चे आनंद को वह साकार कर सके । 
>> - वह स्टूडेंट पुरुष जब सफल प्रोफेशनल हो जाता है , तब उसके पास ऑप्शन अनेकों होते हैं , जिसमें अपने विचारों से मेल खाती एक युवती को अपना प्यार का पात्र हेतु चयन कर सके । वह पुरुष इतना अनमोल सा होता है , जिसका प्यार आम नहीं होता है। उस पर एकाधिकार उसका होता है , जो उसकी पत्नी बन कर , अपने माँ-पिता ,भाई -बहन और अन्य परिजनों के साथ से वंचित होकर उसके पास सारे जीवन के लिए साथ आती है।
>> -  पुरुष , अपनी पत्नी के इस त्याग की अनुभूति रखता है। भरपाई में पत्नी को इतना प्यार , सम्मान और प्रगति के अवसर देना चाहता है कि उसकी पत्नी सिर्फ इस बात से जुडी न रहे कि वह पुरुष उसका पति है, बल्कि एक सच्चे पुरुष का सिर्फ अपने लिए अनूठे प्यार का अनुभव कर उसके हृदय के गहराई में प्यार का बंधन मजबूत होता है।
>> - यह पुरुष , जानता है कि पत्नी के माँ -पिता अपनी बेटी के लिए उस सुखी जीवन की आस में रहते हैं , जिसका बहुत अंश तो वह इतना होने पर भी पूरा नहीं कर सकता है।  इसलिए पत्नी पर वह किसी प्रकार के ताने-उल्हाने का प्रयोग नहीं करता है। वह , जो भी कमी घर व्यवस्था में अनुभव करता है , घर का मुखिया होने से अपनी जिम्मेदारी मानकर चुप होता है ,इसे अनुभव कर बिना पत्नी के कहे समझता है और उत्तरोत्तर गृह व्यवस्था में सुधार को तत्पर रहता है। 
>> - दोनों के पवित्र प्यार की परिणीति में एक संतान उनके बीच आती है , तब वह , अपने जीवन की अनिवार्यता स्वतः समझता है। अपने जीवन के महत्व को इनके लिए समझता है , ड्रग्स ,स्मोकिंग - अलकोहल और भी नुकसान देने वाली वस्तुओं से बचाव रखता है।
>> - अपने व्यवसाय /ऑफिस में आती नारियों के आगे -पीछे भी , 'अपनी पत्नी की तरह की परिजन अपेक्षाओं और चुनौतियों'   का स्मरण होने से सहकर्मियों का सम्मान और सुरक्षा का दायित्वबोध रख अपना व्यवहार तय करता है।
यह पुरुष होना होता है और यह  पुरुष का प्यार होता है , जिससे किसी को कोई दुःख ,हानि और शिकायत नहीं होती है।
--राजेश जैन 
03-04-2015

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