Wednesday, April 15, 2015

नारी ही नारी की दुश्मन ?

नारी ही नारी की दुश्मन ?
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हे पुरुष ,अपूर्ण दृष्टि तुम्हारी लगती है
यौन आकर्षण के नारी अंग ही देखती है
इन अंगों से होती समस्या क्या नारी को
क्यों वासना दूषित दृष्टि नहीं देखती है ?

बहलाकर वैश्या, पोर्नस्टार बनाते हो
छुप वैश्यागामी कहाने में कतराते हो
चाणक्य देख स्वयं पर शरमाता होगा
नारी साथ जो चतुराई तुम कर जाते हो

नारी पर प्रभाव डाल उससे करवाते हो
नारी प्रयोग से मंतव्य पूरे करवाते हो
चालाकी में चाणक्य से बढ़कर फिर तुम
'नारी ही नारी की दुश्मन' उसे मनवाते हो

दृष्टि पूर्ण करो 'हे पुरुष' तुम
वासना नहीं करुणा भी देखो तुम
अन्यथा चाणक्य और तुम्हारी
माँ , नारी है यह जान लो तुम

पुत्र समझती है वह तुम्हें ,
पिता समझती है वह तुम्हें
श्रध्दा रखती पति पर अपने
भूली तो सता सकती है तुम्हें
--राजेश जैन
16-04-2015
 

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