Thursday, April 23, 2015

नारी आव्हान

 नारी आव्हान
----------------
1 . ."एशियाई समाज में पुरुष (या बेटा) होना हर परिवार के लिए जरुरी माना जाता है " (एक आदरणीय के कमेंट के अंश - साभार )--
यह सोच बेटे -बेटी में अंतर करती है , परिवार में रौनक दोनों से है , परिवार की पूर्णता संतान होने से है , बेटे के ही होने से नहीं। दोनों - एक ही विधि से जन्मते हैं। अंतर नहीं है जन्मने में। दोनों की शारीरिक बनावट में भिन्नता है , लेकिन मन समान है। इसलिए दोनों को समानता से देखा जाना चाहिए। शारीरिक भिन्नता से समाज में दोनों ने थोड़े अलग दायित्व ले ही रखे हैं। जिनके अपने -अपने महत्व भी हैं। मानव समाज के लिए दोनों का अस्तित्व समतुल्य महत्व का है। दोनों को सम्मान से देखने की आवश्यकता है। कमजोर पड़ते को , सबल सहायता करते हैं। नारी अभी - कमजोर स्थिति में है , उसे सहारा , सम्मान और विश्वास देकर कमजोरी से उबार लिए जाने की आवश्यकता है।
2 . ."India mein 85% puruso pe dhikkar hy...kyuki en haramiyo ki shadi ho jati hy lekin fir bhi larkiya patate hy..." (एक आदरणीया के कमेंट के अंश - साभार )--
वैसे यह अविश्वसनीय लगता है , किन्तु अगर इसे सत्य मान लें तो ,जो तथ्य उजागर करता है वह चिंताजनक है। अगर इतने पुरुष नारियों को फुसलाने में समर्थ हो रहे हैं , तो कम से कम 20-25 % नारी ने ,किसी विवशता , नासमझी या आधुनिकता के दुष्प्रभाव में मर्यादा की सीमा पार की हैं । तब तो यह परिदृश्य समाज का व्यभिचार प्रधान हो जाने को संकेत करता है। अगर हम व्यभिचार समर्थक नहीं हैं तो पुरुष -नारी दोनों को गंभीर चिंतन -मनन ,आचरण और कर्मों को सुधारने की आवश्यकता है। 
3 . .जितने गंदे नाम है, इन बुद्धिजीवी पुरषो ने सिर्फ और सिर्फ औरत के लिए ही बनाये है.... पुरषो के लिए कोई एक नाम नहीं?? जबकि ये समयस्या तो पैदा की भी उन्ही की गयी है... ?? ..." (एक आदरणीया की पोस्ट - साभार ) --
वास्तव में चाहे पुरुष हो या नारी अगर समाज में व्यभिचार निंदाजनक माना जाता है तो दोनों के व्यभिचारी होने पर अपमानजनक स्थिति भी दोनों को समान मिलनी चाहिये। किन्तु - व्यभिचारिणी नारी का जीवन तो अभिशप्त कर दिया जाता है , किन्तु पुरुष इसे अपनी मर्दानगी ठहरा कर मूँछे उमेठते फिरा करता है।
नारी आव्हान - पुरुष को कोई नाम देने पर सीमित नहीं किया जाना चाहिए। 85% पुरुष लड़कियाँ पटाने में क्यों सफल हो जाते हैं , उन कारणों को खत्म करने पर नारी आव्हान - केंद्रित (फोकस) किया जाना चाहिए।
नारी आव्हान ये होना चाहिए-
---------------------------------
फ़िल्मी प्रभाव रोकना , नेट -मोबाइल पर वल्गर सामग्री के प्रसार पर अंकुश करना , रात्रि पार्टी और उसमें नशे -स्मोक से बचना , पढाई -लिखाई और अपने कार्यालीन /घरेलू/व्यावसायिक दायित्वों में मन लगाना , अपने स्वयं में अर्निन्ग कैपेबिलिटीस लाना यदि नारी कर सकें तो , स्वयं नहीं भटकेंगी , तब पुरुष दुष्टता अपने ख़राब मंतव्यों में स्वयं नाकामयाब रह जायेगी।
(जिन उग्र नारियों को यह लगता है , एक पुरुष लेखक फिर नारियों को समझाने का प्रयास कर रहा है , कृपया इसे इस तरह न लें , लेखक ने बहुधा पोस्ट में प्रहार पुरुषों पर किया है। )
--राजेश जैन
23-04-2015

No comments:

Post a Comment