Friday, May 31, 2013

स्तब्ध तो मै भी हूँ

स्तब्ध तो मै भी हूँ ... 
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स्तब्ध तो मै भी हूँ ... 
जिस दिशा आधुनिक सभ्यता का जहाज
हमें ले जा रहा है उसे अनुभव करके 
उस मर्यादाहीन दिशा  उन्मुख जहाज से कूद कर 
संघर्ष तूफानी लहरों से कर बच निकलते
विपरीत दिशा कुछ वीरों को तूफ़ान से लड़ने
प्रेरित हम यदि ना कर पाएंगे 
तो हेय स्वयं की दृष्टि में ही हम हो जायेंगे .. 


बटोरें हम साहस 
समाज जहाज मुख मोड़ दें 
आदर्श सिध्दांत त्याग अनमोल निधियां 
धरोहर सौपीं जो पूर्वजों ने अपने 
बचाकर उन्हें सच्चे उत्तराधिकारी 
सिध्द करें स्वयं को हम

स्वयं को मानव सिध्द करले
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तेरे गिरने में तेरी हार नहीं क्योंकि
तू मानव है अवतार नहीं
पर कब तक ना सम्ह्लेगा
जब तब गिरता जाता है
माना की भगवान नहीं
तू पर बुध्दिमत्ता दिखा और
पिछले गिरे अनुभव से सीख ले
सुधर स्वयं को मानव सिध्द करले

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