Sunday, May 19, 2013

ह्रदय में करुणा अनुरूप बाह्य व्यवहार


ह्रदय में करुणा अनुरूप बाह्य व्यवहार
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बेटी को जयपुर ट्रेन में पहुचाने हम कल स्टेशन गए थे . ट्रेन प्लेटफार्म पर कोई आधा घंटे खड़ी रही थी . ट्रेन जब चलना आरम्भ कर चुकी तब 2 महिलायें ,1 बच्चा और दो पुरुष ट्रेन पकड़ने दौड़ने लगे एक पुरुष ,बच्चा और 1 महिला तो ट्रेन में जैसे तैसे चढ़ गए पर चढ़ने के प्रयास में दूसरी महिला गेट पर लड़खड़ा गई . उसी समय ट्रेन में चढाने आये पुरुष की चप्पल टूट गई . एक पल लगा वह महिला ट्रेन के नीचे आ जायेगी . किन्तु भाग्य किसी तरह गिरने से बची . 
मै पत्नी सहित दृश्य देख महिला पर जान की बनते देख एकाएक जड़ हो अपनी जगह खड़ा रह गया . भारत में अपर्याप्त व्यवस्थाओं और मध्यम वर्गी विवशताओं पर अत्यंत दुःख हुआ .

लेकिन ह्रदय के अन्दर उठ रही करुणा से विपरीत ऊपर की प्रतिक्रिया स्वरूप उस पुरुष पर जो इस तरह खतरा उठा उन्हें चलती ट्रेन में चढ़ा रहा था  पर क्रोध आया एक दो अपशब्द भी उसके प्रति मुख पर आये . मुझे स्वयं पर बाद में ग्लानि हुई . अपने ह्रदय के अन्दर के भाव और उपरी प्रतिक्रिया में कोई सामंजस्य नहीं अनुभव कर . 

होना यह चाहिए था कि उन को इतनी खतरनाक दशा में देख मेरे पैरों में (जड़ होने की जगह ) हरकत होती में उनको सहायता के लिए दौड़ पड़ता . सहायता कर पाना या ना कर पाना अलग बात थी . लेकिन इसके विपरीत में पुरुष पर क्रोधित हो रहा था .

वह पुरुष और परिवार आर्थिक  रूप से विपन्न था . जिस भी साधन , सिटी बस या अन्य से वह स्टेशन पहुंचा था , किसी कारण से विलंबित हुई होगी . या ट्रेफिक जाम में कहीं फंसे होंगे . इन परिस्थिति में ट्रेन का छूटना अफोर्ड ना कर सकते होंगे . अतः प्राण पर खतरा ( आशावाद भी हो सकता है हमें कुछ ना होगा ) उठा चलती ट्रेन में वे चढ़ रहे थे .

घटना उल्लेख का आशय यह है हम भारतीय ह्रदय में करुणा रखते हैं . पर बाह्य रूप से उस करुणा अनुरूप व्यवहार आज नहीं कर पाते हैं . आगे में इन खतरनाक स्थिति में ह्रदय में करुणा अनुरूप बाह्य व्यवहार का यत्न करूँगा . 

हमारा यह भी प्रयास होना चाहिए कि  हमारी सीमित भारतीय व्यवस्थाओं को हम सपोर्ट करें . हमारे कारण सार्वजनिक साधनों को कोई अड़ंगा ना हो .शहर में लगते जाम में अपने ओर से सहयोग करें . ताकि हम और हमारे साथी मानव तुलनात्मक कुशलता से जीवन यापन कर सकें . 
मान्यवर ,आप (पढने वाले )  थोडा ध्यान इस तरह प्रसंग के लिए कीजियेगा .

राजेश जैन 

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