मानवता दूत (साहित्यकार)
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समाज समस्याओं में घिरा देखकर
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समाज समस्याओं में घिरा देखकर
मानवता ने चिंतित होकर
निर्णय किया साक्षात्कार लेने का
किन्हें बुलाया जाए विचार किया गंभीर होकर
किन्हें बुलाया जाए विचार किया गंभीर होकर
तब मानवता ने सूची बनाई
सृजन संभावनाशील प्रब्दुध्दों की
जिनमें से नियुक्त किये जा सकें
मानवता दूत समाजहित के लिए
2.साहित्यकार
बाद साक्षात्कार वैज्ञानिक के
पूर्ण हुआ साक्षात्कार इस तरह
अगला उम्मीदवार साहित्यकार आया
मानवता ने सम्मुख उसके शीष नवाया
कहा आप तो देते थे सदप्रेरणा
फिर आज क्यों रच रहे हल्की रचना
पढ़कर देखकर जिन्हें मनुष्य आज
जा रहा विनाश के रास्ते पर
साहित्यकार बोला दुखी होकर
हमने किया करार जिनसे है
वे कहते रचने ऐसे साहित्य को
जो मानव आज पसंद कर रहे हैं
और मनोरंजन के लिए आज बिकता है
सुनकर मानवता व्यग्र हो गई
कहा ऐसा क्यों करार करते हो
क्यों लेखनी अपनी बेचते हो
आप तो होते थे संतोष की मूर्ती
आपने क्यों गुण बेच खाया
मनुष्य समाज में बढ़ता व्यभिचार देखकर
क्या तुम संतुष्ट स्वरूप आज देखकर
तब साहित्यकार बोला उदास होकर
आप मढ़ रही सारा दोष मुझ पर
श्रोता दर्शक के पास विवेक है
करते क्यों हलके साहित्य पसंद ?
मानवता ने उसे समझाया
बात तुम्हारी है ठीक पर
श्रोता दर्शक होते अनुगामी
और तुम हो पथ प्रदर्शक
अतः गंभीरता तुमसे अपेक्षित
तुम लाओ अपना गुण वापिस
संतोष करो थोड़े में तुम
समाज प्रेरित कर सकोगे जिस दिन
अनुभव कर निधि आदर्श की
श्रेय मिलेगा और महा संतोष भी
साहित्यकार ने सिर हिलाया
खड़े होकर आसन से अपने
विदा किया मानवता ने
साहित्यकार को शुभकामना देकर के
विदा किया मानवता ने
साहित्यकार को शुभकामना देकर के
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