प्रेरणा मानवता और समाज हित जीवन सार्थकता
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जब नहीं था मैंने सेल फोन ले लिया
चार सौ प्रति माह का व्यय बढ़ा लिया
फिर मोटर साइकल बेच कार ले आया
दो हजार प्रति माह का व्यय बढ़ा लिया
घर के दूरभाष पर ब्राड बैंड लगा ली
और लैपटॉप नया क्रय कर ले आया
पचास हजार की बचत राशि लगा दी
आठ सौ प्रति माह का व्यय बढ़ा लिया
कूलर से चलता था काम मेरा पर
अब चलन एसी देख घर में लगवा लिया
बचत ना बची तब बैंक लोन ले लिया
सर पर किश्त पटाने का बोझ रख लिया
साधनों से स्तर ऊँचा हो गया लेकिन मै
बढ़े व्यय अनुरूप आय उपायों में खो गया
स्वच्छ साधनों से ना बढ़ सकी आय तो
भ्रष्ट तरीकों के मायाजाल में उलझ गया
सामग्रियों की उपलब्धता ने सरल जो किया
जीवन वह मानसिक तनावों से हिल गया
साधनों , वैभव से स्तर ऊँचा दिखाई दिया
आदर्श, स्वयं की दृष्टि में ही निम्न हो गया
अधेड़ , आयु से ज्यादा अस्वस्थ हो गया
सवाल तब रातों में स्वयं से करने लग गया
क्या इन उधेड़बुनों में जीवन बुनना चाहा था ?
मानव जीवन मेरा छल करने हेतु मिला था ?
ना ना ऐसा तो ना चाहा ना ही होना चाहिए था
दूसरों का वैभव उनका योग्यता उनका भाग्य था
मुझे नियंत्रण स्वयं पर होना चाहिए था
आडम्बर से ललचा कर ना गिरना चाहिए था
यदि स्वयं न गिरता ,गिरतों की प्रेरणा बनता
शयन में पड़ा अनिद्रा भोग ग्लानि में ना भरता
जो गया हाथ से उस पर ना पछताना अच्छा
बचे शेष जीवन में संभव सुधार लाना अच्छा
मानवता से भटक रहे उन्हें राह दिखाना अच्छा
बुराइयों से बिलखता समाज मेरा अपना है
लेख ,कर्म ,आचरण प्रेरणा सभी माध्यम से
हितकर समाज का सुखमय चित्र बनाना अच्छा
कसौटी पर लिखी कहानी परखो बहनों ,भैया
प्रेरणा मानवता और समाज हित जीवन सार्थकता
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जब नहीं था मैंने सेल फोन ले लिया
चार सौ प्रति माह का व्यय बढ़ा लिया
फिर मोटर साइकल बेच कार ले आया
दो हजार प्रति माह का व्यय बढ़ा लिया
घर के दूरभाष पर ब्राड बैंड लगा ली
और लैपटॉप नया क्रय कर ले आया
पचास हजार की बचत राशि लगा दी
आठ सौ प्रति माह का व्यय बढ़ा लिया
कूलर से चलता था काम मेरा पर
अब चलन एसी देख घर में लगवा लिया
बचत ना बची तब बैंक लोन ले लिया
सर पर किश्त पटाने का बोझ रख लिया
साधनों से स्तर ऊँचा हो गया लेकिन मै
बढ़े व्यय अनुरूप आय उपायों में खो गया
स्वच्छ साधनों से ना बढ़ सकी आय तो
भ्रष्ट तरीकों के मायाजाल में उलझ गया
सामग्रियों की उपलब्धता ने सरल जो किया
जीवन वह मानसिक तनावों से हिल गया
साधनों , वैभव से स्तर ऊँचा दिखाई दिया
आदर्श, स्वयं की दृष्टि में ही निम्न हो गया
अधेड़ , आयु से ज्यादा अस्वस्थ हो गया
सवाल तब रातों में स्वयं से करने लग गया
क्या इन उधेड़बुनों में जीवन बुनना चाहा था ?
मानव जीवन मेरा छल करने हेतु मिला था ?
ना ना ऐसा तो ना चाहा ना ही होना चाहिए था
दूसरों का वैभव उनका योग्यता उनका भाग्य था
मुझे नियंत्रण स्वयं पर होना चाहिए था
आडम्बर से ललचा कर ना गिरना चाहिए था
यदि स्वयं न गिरता ,गिरतों की प्रेरणा बनता
शयन में पड़ा अनिद्रा भोग ग्लानि में ना भरता
जो गया हाथ से उस पर ना पछताना अच्छा
बचे शेष जीवन में संभव सुधार लाना अच्छा
मानवता से भटक रहे उन्हें राह दिखाना अच्छा
बुराइयों से बिलखता समाज मेरा अपना है
लेख ,कर्म ,आचरण प्रेरणा सभी माध्यम से
हितकर समाज का सुखमय चित्र बनाना अच्छा
कसौटी पर लिखी कहानी परखो बहनों ,भैया
प्रेरणा मानवता और समाज हित जीवन सार्थकता
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