Thursday, May 30, 2013

सिगरेट से ज्यादा प्यारा परिजन और प्रियजन का साथ



सिगरेट से ज्यादा प्यारा परिजन और प्रियजन का साथ

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24-मार्च को इसी पेज पर      "व्यक्तिगत नहीं यह ..."
इस शीर्षक में एक लेख किया था जिसमें स्मोकिंग करते अपरिचित को अपने संकोचों से निकल कर उन्हें सिगरेट ना पीने के लिए मैने उन्हें कह दिया था .


आज की सभ्यता यद्यपि इस तरह की बातों को व्यक्तिगत कहती है . इसलिए मुझे लगा था कि वे अपरिचित इसे अन्यथा ले सकते हैं . पिछले दो माहों में 6 -7 बार उनके पुनः दर्शन हुए . उन्हें सिगरेट नहीं पीते हुए देख कर  प्रसन्नता हुई .


कल मुझे कुछ मेडिसिन की आवश्यकता पड़ी . मै उन्हीं की शॉप पर गया . लेकर मैंने उनसे राशि पूछी ,उन्होंने मुझे दो सौ बीस देने कहा . मैंने कॅश -मेमो और मेडिसिन बिना देखे रखी और उन्हें राशि दे दी . घर आया तब कॅश -मेमो पर ध्यान गया उसमें दो सौ पैतीस अंकित थे . अपरिचित से परिचित बने उन मित्र ने दूसरी शॉप की तुलना में मुझसे 15 रूपये कम लिए थे .


तब मेरे विचार में आया   स्मोकिंग बंद करने से उनका जीवन कुछ ज्यादा रहेगा . ऐसे में उन्हें जीवन निर्वाह के लिए कुछ ज्यादा धन चाहिए होगा .
ऐसे में मुझे यह राहत (15 रूपये)  उचित नहीं लगा . (आगे ऐसे अवसर पर उनसे पूरी राशि लेने कहूँगा यह तय किया )
कुछ धन तो सिगरेट छोड़ने से उनका बचेगा .
कुछ धन रोग उपचार पर बचेगा .


उनके दीर्घ जीवन की कामना , ताकि वे अपने परिवार को अपना  अधिक सानिध्य दे सकने में समर्थ हों .
सिगरेट का साथ देने से ज्यादा प्यारा ज्यादा अवधि तक अपने परिजन और प्रियजन का साथ देना होगा .

जो मित्र स्मोकर हैं इसे पढ़ते हैं उनसे अनुरोध है कि वे इस दृष्टिकोण से जीवन को देखें . स्मोकिंग करना यदि वे छोड़ें तो मै अत्यंत प्रसन्नता अनुभव करूँगा ...
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