Wednesday, May 22, 2013

मानवता दूत (किसान)


मानवता दूत (किसान)
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समाज समस्याओं में घिरा देखकर 
मानवता ने  चिंतित होकर 
निर्णय किया साक्षात्कार लेने का
किन्हें बुलाया जाए
किया विचार गंभीर होकर 
तब मानवता ने सूची बनाई 
सृजन  संभावनाशील प्रबुध्दों की
जिनमें से नियुक्त किये जा सकें 
मानवता दूत समाजहित के लिए


6.किसान

यों तो बारी नारी की थी 
पर मानवता को पता चला 
साक्षात्कार को  निर्धन किसान 
विलम्ब से अब आ पहुंचा 
मानवता ने नारी को रख प्रतीक्षा में 
किसान को पहले बुलवाया 
कंठ सूखता अनुभव कर किसान का 
शीतल जल उसे पिलवाया 
किसान की स्वांस सयंत हुई तब 
मानवता ने उससे प्रश्न किया 
तुम भैय्या उदर पूर्ति के लिए सबके 
अन्न उपजाते हो कड़े श्रम से 
लगता लेकिन जैसे  तुम ना 
पर्याप्त उदर पूर्ति  स्वयं अपनी ही ना कर पाते हो 
स्वाभिमानी कृषक कह उठा 
ऐसा ना है मानवता बहन 
नित्य परिश्रम के कारण शरीर मेरा 
दिखता दुबला ,गठीला है 
उपजाया अन्न बेचता कुछ 
अपने लिए कुछ बचा लेता हूँ 
जिससे परिवार की उदर पूर्ती कर 
अगली फसल बो लेता हूँ 
मानवता ने फिर प्रश्न किया 
तुम्हारी वेशभूषा से लगती 
आर्थिक दशा नहीं ठीक तुम्हारी 
कृषक को हीनता स्वीकारने में 
स्वाभिमान फिर आड़े आया 
बोला वह मानवता से 
आपका कहना अंश -सत्य है 
ज्यादा सच यह कहना होगा 
धन से ज्यादा मुझे प्राप्त 
होता अत्यंत संतोष धन है 
जो हासिल मुझे होता तब 
ग्रहण कर उपजाये अन्न  पश्चात देखता, जब 
उल्लासित चेहरे अपने समाज बन्धु -बहनों के 
मानवता फिर बोली किसान से 

जब तुम भैया इतने संतोषी
फिर क्यों माथे पर  इतनी 
चिंता की ये गहरी लकीरें 
इस बार किसान रोक ना पाया 
और व्यथा जुबान पर ले आया 
कहा ,बहन जो
देख, पढ़ रहे हैं, बच्चे मेरे 
उससे लुभा रहा शहरी जीवन उनको 
वे नहीं करना चाहते किसानी 
बनना इंजिनियर या डॉक्टर 
सपना अब उनकी आँखों में है 
इसलिए भय सताता मुझे यह 
जीवन सुख वे ना पाएंगे 
मृग-मरीचिका सी भटकन में 
जीवन अपना व्यर्थ गवायेंगे 
लाख समझाने पर भी वे 
समझने को तैयार नहीं 
अवज्ञा और भय के कारण 
खिंच आईं लकीरें माथे पर मेरे  
मानवता ने सहानुभूति जतलाई 
तब भी एक और प्रश्न जुबान पर लाई 
बोली तुम इतना सच कहते हो 
फिर भी अन्य आरोप आप पर धरते हैं 
रासायनिक स्प्रे कर फसलों पर 
विष सम्भावना अन्न में ला देते हो 
किसान आरोप से व्यथित हुआ 
मै तो गोबर और वनस्पति खाद से 
अन्न खेत में उपजाता था
कृषि वैज्ञानिकों ने वितरित की तब 
रासायनिक स्प्रे और  
किया प्रेरित हमें उपयोग के लिए 
अगर यह हानिकर है तो 
क्यों बाजार में उपलब्ध यह है ?
मानवता ने माना यह 
किसान की शिक्षा सीमित है 
जैसा प्रशिक्षित किया जाता उसे 
कृषि उस पध्दति से करता है 
मानवता ने किसान को कह धन्यवाद 
उठ आसन से उसे विदा किया 

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