Thursday, May 2, 2013

इस समय हम हैं अतः यह दायित्व हमारा है ...

इस समय हम हैं अतः यह दायित्व हमारा है ...
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किसी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में जब तक बढ़ना होता है .
तब तक हम उस पर पहुँच ना जायें .
हम "मानवता और समाज हित" के लिए कठिन लक्ष्य ह्रदय में बसाये बैठे हैं .
अतः किसी निराशा से हमें बैठ जाने से बचना है .
हम क्रम यह निरंतर रखें ...
लक्ष्य पर कदम हमारे न पहुंचें कोई पछतावा न होगा यदि 
"हमारी प्रेरणा से कुछ सहस्त्र कदम उस दिशा में अग्रसर होने लगें 
और फिर किसी दिन कोई कदम उस लक्ष्य पर पहुँचने में सफल हो जाए "

वास्तव में पाषाण युग से इस युग तक मानव विकास के पीछे का रहस्य यही है 
किसी एक ने यहाँ तक मानव को नहीं पहुँचाया है . 
अपना पात्र अनेकों ने निभाया फिर परम्परा आगे बढ़ाने का दायित्व दूसरों को सौंप वे जाते रहे .
नवागन्तुक बढ़ाने का यह क्रम निभाते हैं .
इस समय हम हैं अतः यह दायित्व हमारा है ...

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