Saturday, May 18, 2013

मानवता दूत (शिक्षक)



मानवता दूत (शिक्षक)
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समाज समस्याओं में घिरा देखकर 
मानवता ने  चिंतित होकर 
निर्णय किया साक्षात्कार लेने का
किन्हें बुलाया जाए विचार किया गंभीर होकर 
तब मानवता ने सूची बनाई 
सृजन  संभावनाशील प्रब्दुध्दों  की
जिनमें से नियुक्त किये जा सकें 
मानवता दूत समाजहित के लिए

4.शिक्षक
हुआ साक्षात्कार वैज्ञानिक ,साहित्यकार और चिकित्सक का 
आई बारी अब शिक्षक की 
समक्ष देख शिक्षक को 
किया प्रणाम आसन से उठ मानवता ने  
कहा तब विनम्र स्वर में  
माता पिता से पहले मिलता 
मान तुम्हें शिष्यों से 
फिर भी तुम स्वार्थी बन रहे हो 
कक्षा में शिष्यों को ठीक से नहीं पढ़ाते 
तुम्हारी इस उदासीनता से 
उन्हें जाना पड़ रहा है महँगी कोचिंग में 
यह सुन शिक्षक ने रुआसें होकर 
मानवता को बतलाया 
मान बहुत मिलता था गुरु होने पर  पहले 
किन्तु यह सिर्फ धनिकों  को अब मिलता है
शिक्षक रहकर ना उठाता हूँ 
यदि में अपना आर्थिक स्तर 
बच्चे पत्नी उदास रहते हैं  
इसलिए मै रहता असमंजस में 
बिना धन अर्जन के पदाने को मन न होता है
कोचिंग खोलता अतः बाध्य होकर  हूँ 
सुनकर ये मानवता बोली 
तुमने शिक्षा यदि दी होती 
सच्चे भाव और सच्चे ज्ञान से 
शिष्य एक दिन सभी तुम्हारे थे 
धन लोलुप वे कभी ना होते 
और मान तुम्हें मिलता रहता 
शिक्षक तुम हो ,मै क्या  दूं तुम्हें शिक्षा
जाओ कर्तव्यों पर तुम स्वयं गौर करो 
और कर्मों  में अपने सुधार करो 
दुविधा शेष मन में रखकर 
वहां से  शिक्षक यों  विदा हुआ 




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