मानवता दूत (इंजीनियर)
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समाज समस्याओं में घिरा देखकर
मानवता ने चिंतित होकर
निर्णय किया साक्षात्कार लेने का
किन्हें बुलाया जाए
किया विचार गंभीर होकर
किन्हें बुलाया जाए
किया विचार गंभीर होकर
तब मानवता ने सूची बनाई
सृजन संभावनाशील प्रबुध्दों की
जिनमें से नियुक्त किये जा सकें
मानवता दूत समाजहित के लिए
हुआ साक्षात्कार वैज्ञानिक ,साहित्यकार ,चिकित्सक और शिक्षक का
आई बारी अब इंजीनियर की
5.इंजीनियर
हुआ साक्षात्कार वैज्ञानिक ,साहित्यकार ,चिकित्सक और शिक्षक का
आई बारी अब इंजीनियर की
मानवता ने उससे प्रश्न किया
क्यों निर्माण के लिए तुम करते
महंगी कीमत की माँग सबसे
जो ना चुका पाते महंगी कीमत
उन हीनों को सस्ता बनाकर देते
उन हीनों को सस्ता बनाकर देते
घटिया निर्माण से रुलाते तुम
स्तरहीन तुम्हारे निर्माणों से
दुर्घटनाएं भुगतते अनेकों हैं
दुर्घटनाएं भुगतते अनेकों हैं
इंजीनियर ने सफाई में कहा
पढ़ाने मुझे बहुत धन व्यय किया है
मेरे पिता ने अरमानों से
और ब्याही श्वसुर ने अपनी बेटी
सुखी रहेगी मेरे साथ
रखकर इस अपेक्षा से
रखकर इस अपेक्षा से
अगर मै ना बनाऊ धन तो
निराश पिता, श्वसुर होंगे
श्रध्देय आप बतायें कृपया
स्थिति समझकर आप मेरी
मानवता ने इंजीनियर को समझाया
धन जो आज तुम जुटा रहे हो
चूँकि वह नहीं न्याय का है
सच्ची खुशियाँ नहीं ला सकता वह
भ्रम में आ पड़े तुम और
निरर्थक जीवन कर रहे हो
जितना जुटाया है तुमने
सुखी जीवन के लिए नहीं जरूरी
सार्थक तुम्हें जीवन करना चाहिए
निर्माण उत्तम और गुणवत्ता के
कम पारिश्रमिक के करना चाहिए
पड़ संशय में इंजीनियर ने
मानवता से विदा ले ली
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