Wednesday, May 15, 2013

माँ (जीजाजी की माँ) -विनम्र श्रध्दांजली

माँ (जीजाजी की माँ) -विनम्र श्रध्दांजली 
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79 वह वर्ष जब मेरी बड़ी बहन किरण , उनकी बहु बन उनके मातृत्व की छाया में उनके (तब नागपुर में थे ) घर पहुँची . तभी से हमें उनका स्नेहाशीष अब तक निरंतर मिला .
12 मई जब मदर्स डे था .उनको क्रिटीकल कंडीशन के कारण वेंटीलेटर सपोर्ट सिस्टम पर रखना पड़ा . और हमें निराशा और दुःख मिला 14 को उन्हें नहीं बचाया जा सका .
माँ , हां यही संबोधन लिखूंगा उनके लिए ऐसा ही स्नेह उनसे मुझे मिलता आया था इन 34 वर्षों मे. मेरे पिताजी उन्हें सान जू साहब संबोधित करते हैं . उनके आतिथ्य के बारे में कहते हैं .. उनका आग्रह भोजन करते समय हमेशा ऐसा होता है कि ओवर ईटिंग के बिना उठना असंभव होता है . यही राय सभी की उनके बारे में रही है जिन्होंने भी उनके आतिथ्य का सौभाग्य पाया है .
माँ ,उन्हें 10 वर्ष पूर्व बाबूजी के निधन से पति विछोह और पिछले वर्ष पुष्पेन्द्र जी की मौत से पुत्र विछोह का गहन दुःख सहना पड़ा . वे इन दुखद घड़ी में अत्यन्त मातम में रहीं . उनका सामान्य स्वभाव स्वयं प्रसन्न रहने का और अपने आसपास प्रसन्नता का वातावरण रखने का था .
स्मरण है आकाश उनका प्रपोत्र (मेरा भानजा ) 4 -5 वर्ष का था . मै उनके घर पहुंचा तो उन्होंने कहा आकाश को देखो , उन्होंने आकाश से कहा आकाश ,बेटा जा ऊपर से कपडे सूख गए होंगे उठा ला . आकाश ऊपर से कपडे उठा कर लाया तो मुझसे बोलीं देखो सिर्फ अपने पापा ,मम्मी और स्वयं के कपडे लेकर आया है ,जबकि सभी के कपडे सूख रहे हैं .. खूब हँसती और आकाश से लाड करती .
अभी 5 महीने पहले आकाश के विवाह पर हम सपरिवार आये थे बरोडा . मेरा रिजर्वेशन कन्फर्म ना होने से मुझे 2 दिन अतिरिक्त रुकना पड़ा . उस समय रिजर्वेशन कन्फर्म ना होना अखर रहा था .लेकिन आज सोचता हूँ अच्छा हुआ वही अंततः उनसे आखरी बार मिलना सिध्द हुआ आज वे नहीं हैं .

दिसंबर में उनके स्वास्थ्य के कारण भोजन के परहेज थे .लेकिन मीठे पर उनकी आसक्ति थी . जीजाजी सख्ती से कभी रोकते तो वे मेरी बेटी रिची की ओर शिकायती दृष्टि से देखती और उससे कहती ... 'देखो ' . ऐसे ही एक अवसर पर मैंने उनसे कहा मम्मी जी आप जीजाजी की सौतेली माँ हो क्या ... तो जोर से हंसती कहती नहीं . हमारा बेटा है ,खूब देखभाल रखता है हमारी .
जब हम लौटने लगे तो रिची को अपने पास से सौ रुपये निकाले और दिए जबकि अपने नाती पोतों को उन्होंने जीजाजी या उन्हीं के पापा से रुपये लेकर दिए थे , कहने लगीं गुड़िया अब नहीं मिलेंगे हम . उनका कहा ही सच सिध्द हुआ .काश यह झूठ होता .

मौत अगर मेरी सुने तो उससे यही विनय पूर्ण अनुरोध है .. किसी के माँ -पिता की आयु सवा सौ वर्ष से कम ना दे और उनके प्राण कष्टकर स्थिति में ना तजने पड़ें

माँ संसार में किसी की सबसे बड़ी हितैषी होती है आज उनके जाने से जीजाजी , सुधीर जी ,कमलेश जी के साथ पूरे परिवार को सबसे बड़ी क्षति हुई है सर पर से मातृ-छाया चली गई है . उनके दुःख में हम उनके साथ हैं .आत्मिक संवेदना रखते हैं .
भगवान माँ की आत्मा को शांति दें ...
धन्यवाद ...

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