Sunday, June 9, 2013

नितांत अकेला

नितांत अकेला 
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पूरे जीवन अच्छे सभी मिले परिजन ,मित्र ,साथी व्यवसायी और यहाँ तक अपरिचित जिसमें कुछ से परिचय बढ़ा और कुछ अपरिचित ही रह गए लेकिन सभी अच्छे स्मरण ही देकर गए . धन -वैभव और मान- प्रतिष्ठा भी अच्छी मिली . जीवन यों बीता जैसा सपना बचपन से जीवन के लिए देखा करता था . सरलता से ही मौत भी आई .
तीन पंक्तियों के इस विवरण को पढ़कर  हम इसे भाग्यशाली मनुष्य कहेंगे . पर मुझे यह कुछ दुर्भाग्यशाली भी लगता है .

एक अन्य विवरण इस प्रकार है ... जीवन में करीबियों की बहुत सहायता की . कभी कुछ उनसे अपने लिए भी लिया . ठीक ठीक जीवन चलता रहा . कुछ अवसर आये जब कभी परिवार जन को तो कभी मित्रों और साथियों को लगा . यह हमें कोई लाभ का नहीं रह गया इसका साथ लेना-देना सिर्फ हानि का कारण है . ऐसे सभी अवसरों पर प्रिय और इष्ट दिखने लगने वाले किसी ना किसी बहाने दूर रहे उससे . तब तब जीवन में उसने स्वयं को नितांत अकेला होना अनुभव किया .
दूसरे विवरण से हम इसे दुर्भाग्यशाली कह सकते हैं . लेकिन मुझे यह भाग्यशाली लगता है . 

इसने प्राणी जीवन स्वरूप के नितांत अकेले होने की सच्चाई अवसरों पर अनुभव की . जबकि पहले विवरण का कथित भाग्यशाली पूरे जीवन भ्रम में ही रह चला गया . वह जीवन स्वरूप की समझ असत्य ही अनुभव कर सका . क्योंकि उसे अनुभव ही नहीं मिला किस तरह कठिन और विपरीत समय आने पर अपने से लगने वालों का दिखाने वाला श्रृंगार उतर जाता है . तब अपने जीवन की कठिनाई नितांत अकेले जूझते ही दूर करनी होती है .

दूसरे विवरण से जूझने वाला भाग्यशाली इसलिए भी लगता है . क्योंकि उसके समक्ष मनुष्य जीवन यथार्थ रूप में आया . कभी अनुकूल और कभी प्रतिकूल समय आते रहे . नितांत अकेले होने की सच्चाई अनुभव करने के बाद , उसने जीवन इस प्रकार आगे बढ़ाया जिसमें निरपेक्ष ही सद्कर्मों की आदत बनी . और इसलिए दूसरों के स्वार्थपूर्ण व्यवहार अनुभव भी किया तो निराशा नहीं हुई .
नितांत अकेले मनुष्य जीवन स्वरूप की समझ से जीवन अवसाद से वह विचलित होने से बचा .

आप किसे भाग्यशाली और किसे अभाग्यशाली कहेंगे ?
स्वयं आप किस तरह का भाग्यशाली बनना पसंद करेंगे ?

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