Thursday, June 27, 2013

तुम ऐसे क्यों चले गए रितेश ?

तुम ऐसे क्यों चले गए रितेश ?
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 इस वर्ष ही जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से MCA पूर्ण कर रितेश बंगलोर कुछ तरह की ट्रेनिंग और कोर्सेज करने गया था ताकि आगे अच्छे जॉब के रास्ते मिलें . सड़क पर ना जाने किससे गलती हुई रितेश कुछ दिनों पूर्व दुर्घटना में घायल हो गया . मित्रों और सीनियर ने अस्पताल पहुँचा कर उपचार आरम्भ करवाया . रितेश के माता-पिता परिवार सिलीगुड़ी में रहता है . दुखद सूचना मिलने पर चिन्ता और गहन दुःख की स्थिति में कल ही लम्बी यात्रा के बाद वे बंगलौर पहुँच सके .पर गम्भीर चोटों से जूझता रितेश आज हार गया .जीवन दीप बुझ गया उसका .
तुम ऐसे असावधान कैसे हो सकते थे रितेश ? 
आज दुनिया है .
लेकिन तुम्हारी दुनिया ख़त्म हो गई .
तुम्हारे माता-पिता दुनिया में हैं पर तुम्हारे इस तरह चले जाने से उनकी दुनिया ख़त्म हो गई है .

बाईस वर्ष के तुम थे . तुम्हें शायद नहीं मालूम किसी के बीस - बाईस वर्ष के होने का अर्थ क्या होता है .बच्चा जन्मता है तब से माँ -पिता के प्राण उसमें बसने लगते हैं . सम्पन्नता ना होती है तब अपने इक्छाओं , आराम और जीवन स्वप्नों का त्याग से सींचते उसे बड़ा करते हुए स्वयं युवा से बूढ़े हो चलते हैं . बाईस वर्ष का होने का अर्थ यह भी होता है पूरा बचपन और किशोरावस्था आगे जीवन में किसी योग्य बनने के सपने के लिए पढ़ते हुए निकाल दी होती है ,माँ-पिता के लाडले/लाडली ने .
बाईस वर्ष का होने का अर्थ यह भी है .. अपने लाडले/लाडली की  खुशियों में ही माँ-पिता का जीवन सार्थक होता है .
एक अर्थ यह भी है माँ-पिता के त्याग और बच्चे के अथक पढने के परिश्रम से वह जीवन बुनियाद निर्मित हुई है . जिस पर एक सफल जीवन महल निर्मित होने जा रहा है. बच्चा माँ -पिता से ज्यादा सफल और अच्छा जीवन बनाने में कामयाब होगा , माँ -पिता की वर्षों की आशा और इक्छा अपने यौवन पर आ गई होती है . अब माँ -पिता की नयन -ज्योति कमजोर पड़ना आरम्भ होती है . अपना शेष जीवन बच्चे की आँखों के माध्यम से दुनिया देखेंगे सोच-समझ कर प्रसन्न हो रहे होते हैं .निश्चित ही तुम्हें नहीं पता रहा होगा रितेश अन्यथा असावधानीवश तुम इस दुर्घटना के शिकार हो यों नहीं जाते .

तुम ना सोच सकोगे अब रितेश लेकिन कोई और रितेश जैसे ना जाए ये युवा सोचें . 
माँ-पिता ने जीवन का पहला अर्ध( फर्स्ट हाफ), बच्चे के लिये  त्यागों के नाम कर जीवन सुख तजा था.दूसरे जीवन अर्ध (हाफ) में अब रितेश के जाने का दुखों का पहाड़ सीने पर रख अब जीवन रहते मर गए हैं .

रितेश सी भूल किसी और से ना हो . युवाओं सोचो तुम जीवन ज्योत हो परिवार ,समाज और देश के. तुम दीर्घायु हो यह हार्दिक कामना .

पर रितेश बहुत थोडा सा परिचय था तुमसे पर तुम मुझे आज रुला गए ... 
तुम्हारी आत्मा को भगवान शांति प्रदान करे .. और तुम्हारे माँ-पिता को विशाल ह्रदय ताकि सहन कर लें इस गहन असहनीय तुम्हारे विछोह को ...


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