Saturday, June 1, 2013

मानवता दूत (नारी)


मानवता दूत (नारी)
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समाज समस्याओं में घिरा देखकर 
मानवता ने  चिंतित होकर 
निर्णय किया साक्षात्कार लेने का
किन्हें बुलाया जाए किया विचार गंभीर होकर 
तब मानवता ने सूची बनाई 
सृजन  संभावनाशील प्रबुध्दों की
जिनमें से नियुक्त किये जा सकें 
मानवता दूत समाजहित के लिए

7 . नारी
मानवता सम्मुख अब थी नारी 
कर धारण शालीनता और गरिमा
मानवता ने उठ शीश नवाया 
आदर लिए स्वर में अपने 
विनम्रता से बोली वह नारी से 
जन्मते कोख से लिए मानवता 
चाहे  पुरुष या होवे नारी  ही 
जन्म जात अब गुण मानवता 
नहीं फूलता और फलता है 
दुःख ज्यादा देख यह होता 
आकर के दबाव में व्यर्थ बातों के 
कर समझौता जीवन में अनेक अवसरों पर 
अब तुम भी तजती हो मानवता 
सुन नारी यह बोली रख विनम्रता 
मानवता जी ,मै नहीं भूलती मानवता 
शारीरिक शक्ति  मुझे कम मिलती है 
जन्म से ही तुलना में पुरुष के 
बाध्य होकर वह सब मुझे करना पड़ता 
जो पुरुष दबाव मुझ से करवाता 
कचोटती मुझे यद्यपि बात वे सभी हैं 
जो मानी जाती विरुध्द मानवता के 
मानवता ने सहमती में सर हिलाया 
शारीरिक शक्ति तुम में कम होती है 
पूर्ती उसकी दृढ चरित्र से होती है 
तुम ना आओ व्यर्थ फुसलावों में तो 
तुम शक्ति की देवी बन जाती हो
आधुनिकता के नाम से जिस पथ चलती 
वह मानवता विहीन दिशा जा रही है 
तुम समझो इसे और पहचानो 
अगर गुण सुशीला तुम से जायेगा 
मानवता तब संसार से उठ जायेगी 
तुम बनो आज आधुनिक नारी 
मै भी ऐसा ही चाहती हूँ ,लेकिन
छद्म आधुनिकता तुम्हें बना रही है 
मानव नहीं उपयोग की वस्तु 
तुम बचो स्वयं वस्तु बनने से 
अन्यथा उपयोग पर्यन्त फेंक दी जाओगी 

मानवता से सुन कटु बात यह सच्ची 
नारी का चेहरा झुक गया नैराश्य भाव से 

मानवता ने लिया संज्ञान तुरंत ही 
बोली वह दुखी नारी से 
साक्षत्कार नहीं प्रभावी रहा तुम्हारा 
फिर भी योग्यता पर तुम्हारी नहीं कोई संशय 
मानवता दूत नियुक्त तुम्हें करती हूँ 
चरित्र स्वयं बचा कर अपना 
चरित्र पतन तुम बचा सकती हो आज मानव से 
चरित्र जो बनेगा समाज में यदि तो 
मानवता बचेगी बेमौत मरने से 

सुन कर जो उभरी प्रतिक्रिया मुख पर नारी के 
लगा दृढ संकल्प उसने ले लिया है 
मानवता ने उठ पीठ थपथपाई 
कहा ,नारी मै भी हूँ नारी 
तुम कर सकोगी जो नारीत्व की रक्षा 
समाज हित हो सकेगा निश्चित 
और स्वतः हो जायेगी रक्षा मानवता की 


मानवता दूत बन स्मरण रखना 
जन्मती तुम मानव को नारी ,जाओ 
मरती मानवता को भी तुम ही बचाओ         



  

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