Wednesday, June 19, 2013

बच्चों की प्रतिभा उपलब्ध समय और हमारे दायित्व -2

बच्चों की प्रतिभा उपलब्ध समय और हमारे दायित्व -2
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कल का लेख एक बेटी के आर्थिक अभाव से उदास मुख से जागृत अंतर्वेदना से प्रेरित था . उसे ही विस्तार दे रहा हूँ   जीवन में अभाव कई बार तन-मन दुखाते हैं . लेकिन यह भी सच है जिनको आर्थिक सम्पन्नता है उनके भी  तन-मन दुखते हैं . इसलिए धनाभाव से मन में ज्यादा दुःख पालना या किसी तरह हीनता लाना उचित नहीं है . बल्कि किसी भी ऐसे दुखी से यह प्रार्थना है कि वे इसकी (अपनी इस तरह की कमियों की) चर्चा सार्वजनिक स्थानों या कम परिचितों में करें . आसपास ऐसे अनेकों चालाक हैं जो हमारी इस मनःस्थिति को अपने स्वार्थ हेतु उपयोग करने लगें . और बहला कर ,प्रभाव में लेकर हमारा शोषण (exploitation) और गलत उपयोग कठपुतली (puppet) जैसा करें .जिसमें हमारा भला तो सिर्फ आभासित होगा . अप्रत्यक्ष उनका हित इसमें छुपा होगा .
विशेषकर युवतियों और स्कूल ,कॉलेज और व्यवसायरत बेटियों को इसमें ज्यादा सतर्क रहना चाहिए . अनेकों दैहिक शोषण के प्रकरण अपने आर्थिक अभावों की हीनता बोध और उसकी चर्चा के दुष्परिणाम स्वरूप होते हैं . जिनमें चतुराई से अय्याश तबियत के लोग उन्हें (शोषित नारी को) इस हालत में ला  छोड़ते हैं जहाँ उनका जीवन एक अभिशाप सा हो जाता है .
बेटियां विशेषकर सावधानी रखें. वे अपने परिवार के अलावा किसी से कोई उपहार ग्रहण ना करें . हमारे वस्त्र ,हमारे मोबाइल , आभूषण भले ही सस्ते हों, पुराने हों हम भले ही सुगन्धित तरल (perfume) प्रयोग ना कर पाते हों ,अपना आत्मविश्वास बनायें रखें .अगर ऐसे वस्तु प्रयोग की हमारी आकांक्षा है . तो अपनी योग्यता बढ़ाने और सही स्त्रोतों से अपने धन अर्जन के लिए श्रम करें .

हो सकता है हमारे कठिन श्रम के बाद भी हमें जीवन में वह ना हासिल हो जो हमारा जीवन स्वपन्न हो . लेकिन हमारा स्वाभिमान ,सच्चा सम्मान और चरित्र तब भी बना रहेगा .

किसी भी शार्ट कट ( गलत रास्ता) जहाँ पहुँचा सकता है . वह जो भी दिलाता आभासित होता हो वह वास्तव में पाना नहीं खोना होता है .
उससे हम स्वयं तो अपना स्वाभिमान और सम्मान खोते ही हैं . सामाजिक आदर्शों का स्तर गिरता जाता है . यही वर्तमान की देश और समाज की बुराइयों का कारण है . जिसमें व्यथित हो हम आंदोलित हो रहे हैं और जीवन आनंद का अभाव देखने को विवश हैं ...

(अगर मित्रों ने उत्साह-वर्ध्दन किया तो आगे इसी चर्चा को विस्तार दूंगा ) 

    

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