Wednesday, June 26, 2013

बारिश में सबेरे भ्रमण

बारिश में सबेरे भ्रमण
------------------------
आज सबेरे उठा तो बारिश जारी थी . जबलपुर मानसून के लयबध्द फुहारों से भीग रहा था . भ्रमण के लिए पुराने जूतों ,छतरी और कुछ शॉर्ट्स (कपड़े) में निकल पड़ा .
नितदिन से भिन्नताएँ जो दृष्टिगोचर हुईं ,और जिनसे कुछ विचार उठे वे उल्लेख करूँगा ..

एक विक्षिप्त सा व्यक्ति जो प्रतिदिन फुटपाथ पर सोता मिलता है वह अपने स्थान से भिन्न एक दुकान के शेड के नीचे खड़ा था .भूमि वहाँ भी गीली ही थी इसलिए लेटा वहाँ भी नहीं जा सकता था . लगता था रात्रि में सो नहीं सका था . निर्धनों ,रोगियों ,विक्षिप्तों और अनाथों को अब भी एक ठीक सा आश्रय स्थल , भोजन और दवाइयाँ उपलब्ध नहीं . लगा सभ्यता (बहुत उन्नत होने के बाद भी ) को अभी भी बहुत उन्नत होना शेष है . और आज जो उसकी दिशा ठीक नहीं है तो शंका होती है कि कभी निर्धनों ,रोगियों ,विक्षिप्तों और अनाथों को ठीक सा आश्रय स्थल , भोजन और दवाइयाँ की पर्याप्त व्यवस्था उन्नत हो चुके मनुष्य क भी सकेंगे अथवा नहीं .
आगे बढ़ा तो फुटपाथ पर एक वृक्ष की डाल टूट कर गिरी थी . दो मिनट रूक उसे घसीट के किनारे किया . थोड़ी देर में स्कूल का ट्रेफिक होगा ऐसे में फुटपाथ पर चलने की जगह ना होने पर बच्चे नीचे सड़क पर चल किसी परेशानी में ना पड़ें ,सोचते हुए .

चलते हुए आज प्रभात भ्रमण प्रेमी नहीं दिखे लेकिन सुखद आश्चर्य यह देख हुआ नित्य की भांति चार-पाँच सौ तो नहीं पर दस-पंद्रह बारिश से बचने के अपने अपने उपायों के साथ भ्रमण पर थे .

बारिश और बादलों का अंदाज आज लयबध्द था . जब तक ट्रेफिक नहीं बढा रिमझिम और फुहारों में मधुरता अनुभव होती रही  थी. लगा आज बादल भारतीय वाद्य (वीणा ,बाँसुरी आदि ) के साथ ही आकर ही जबलपुर को भिगो रहे हैं .आकाशीय बिजली की गडगडाहट  (शोर मचाता पश्चिमी वाद्य भांति ) आज उनके पास उपलब्ध नहीं थी .

एक स्थान पर तार टूट कर फुटपाथ पर पड़ा था .हालांकि वह स्पीकर का तार था जो रिज रोड पर भ्रमण करते लोगों को संगीत देने के लिए लगे हैं . उस तार में करंट नहीं होता पर स्पीकर और तार विद्युत सपोर्ट पर ही स्थापित हैं अतः फाल्ट की स्थिति में उन में करंट आ जाना संभावित होता है और भीगे मौसम में इसका फैलाव खतरा भी उत्पन्न करता है .ओवरहेड बिजली के तारों से हमेशा एक भय रहता है . अतः इनके बहुत पर्याप्त रख-रखाव आवश्यक होता है . पर हमारे विभागों के पास फण्ड अभावों और इक्छा-शक्ति के अभाव में ओवरहेड लाइन बहुत सुरक्षित नहीं बनाई जा पाती हैं .

दो  बात भीगे मौसम के बीच भी नहीं बदली थी .एक सड़कों पर सफाई को तैनात माँ ,बहनें और बेटियाँ झाड़ने के लिए आने लगी थीं और उन्होंने अपना कार्य आरम्भ किया था . लेकिन चिन्तित करने वाली बात यहाँ भी दिखी वे बिना बरसाती (रेनकोट) पहने कार्यशील थीं .
दूसरी स्कूल के लिए बच्चे और टीचर्स  ऑटो ,बस ,स्कूटी ,साइकिलों और पैदल निकलने लगे थे . उन्हें स्कूल जाते भीगने पर ,उन्ही वस्त्रों में पूरे समय बैठना था . जो रोग को आमंत्रण होता है . लगा स्कूल में भी चेंज रूम होना चाहिए और कुछ वस्त्र जो की ज्यादा भीगने पर इस्तेमाल किये जा सकें . लेकिन एक चिंता यहाँ भी हुई .चेंज रूम में कैमरा ना हो इसकी गारंटी कैसे होगी ?

इन चिंताओं और विचारों के बीच बारिश में सवा घंटे की वाक मैंने बच्चों सा आनंद (भीगने का ) उठाते पूर्ण की .   .

--राजेश जैन 
27-06-2013

No comments:

Post a Comment