सुखमय दुनिया
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तीस -चालीस वर्ष पूर्व क्या थी दुनिया
हम सब यह तो बहुत स्मरण करते हैं
बीस -तीस वर्ष बाद क्या होगी दुनिया
इस बारे में नहीं गंभीर चिंतन करते हैं
जब तक हमें जीवन प्यारी हो दुनिया
हम संकुचित दृष्टिकोण यह रखते हैं
मरणोपरांत यदि भाड़ में जाये दुनिया
लगभग ऐसा उदासीन भाव रखते हैं
पूर्वज करते ऐसा तो क्या होती दुनिया
जन्म लिया था जब हमने दुनिया में
उन्होंने सजाई हमारे लिए यह दुनिया
कर त्याग स्वहित और सुविधा अपनी
रीत रही बच्चों की हो सुखमय दुनिया
पूर्वज पीढ़ियों से हमारे निभाते आये
क्या हम भूलकर ना बनायेंगे दुनिया
अच्छी आने वाली सन्ततियों के लिए
निभाकर रीत बनायेंगे अच्छी दुनिया
आज के हम मानव यह संकल्प उठायें
जितनी मिली उससे भी अच्छी दुनिया
आने वाली पीढ़ियों के लिए हम बनायें
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तीस -चालीस वर्ष पूर्व क्या थी दुनिया
हम सब यह तो बहुत स्मरण करते हैं
बीस -तीस वर्ष बाद क्या होगी दुनिया
इस बारे में नहीं गंभीर चिंतन करते हैं
जब तक हमें जीवन प्यारी हो दुनिया
हम संकुचित दृष्टिकोण यह रखते हैं
मरणोपरांत यदि भाड़ में जाये दुनिया
लगभग ऐसा उदासीन भाव रखते हैं
पूर्वज करते ऐसा तो क्या होती दुनिया
जन्म लिया था जब हमने दुनिया में
उन्होंने सजाई हमारे लिए यह दुनिया
कर त्याग स्वहित और सुविधा अपनी
रीत रही बच्चों की हो सुखमय दुनिया
पूर्वज पीढ़ियों से हमारे निभाते आये
क्या हम भूलकर ना बनायेंगे दुनिया
अच्छी आने वाली सन्ततियों के लिए
निभाकर रीत बनायेंगे अच्छी दुनिया
आज के हम मानव यह संकल्प उठायें
जितनी मिली उससे भी अच्छी दुनिया
आने वाली पीढ़ियों के लिए हम बनायें
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