Saturday, June 22, 2013

साहित्य

साहित्य
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कविता सृजनशीलता ,कल्पनाशीलता और विचारशीलता की परिचायक है .
जब हम सिर्फ धन अपेक्षा से इसे देखते हैं तब ही शायद यह व्यर्थ लग सकती है ..
साहित्य लेखन और अच्छा साहित्य पठन अंगीकार किया जाए तो वह
दिग्भ्रमित समाज (वर्तमान ) को भी सही दिशा में अग्रसर कर सकता है ...
वास्तव में जो अच्छे  साहित्य के माध्यम से दिया और ग्रहण किया जाता है .
वह प्रधानतः ह्रदय से ग्रहण किया जाता है
वह ज्ञान बढ़ाने इसलिए उन्नति में सहायक होता है ...

जबकि वीडियो और दृश्य जिनमें आज अधिकतर जो दिखलाया जा रहा है .
वह प्रधानतः नेत्र  से ग्रहण किया जाता है और भोग इन्द्रियों को पुष्ट  करता है .
और उपभोग प्रवृत्ति बढ़ा कर स्वास्थ्य और नैतिकता को क्षति का कारण बन रहा है.

--राजेश जैन 
22-06-2013

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