Thursday, June 13, 2013

भय मुक्त जीवन

भय मुक्त जीवन 
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पूरा जीवन भयभीत रहकर जीना होता है . भयमुक्त जीवन जीने की कला मुश्किल से ही आती है  . 

भयमुक्त रहने के उपाय धर्मशास्त्रों और विद्वानों द्वारा बताये भी जाते हैं . उनसे सहमत होते हुए भी हम निर्भय जीवन यापन नहीं कर पाते हैं .

यह स्पष्ट ही है भय से मुक्त जीवन तो नहीं हो सकता है . किन्तु कम भय के साथ जीवन जिया जा सकता है .

जीवन में अच्छाई के पथ ना छूट जाये यह  भय तो सभी को जीवन में स्वतः ही पालना चाहिए . इसलिए बिलकुल निर्भयता में यह अपवाद तो सभी के साथ अच्छा ही है .

अपने क्षमता और नियंत्रण अनुरूप शेष  भय से अपने बचाव के उपाय और योजनाओं पर आधारित कर जीवन मार्ग तय करना चाहिए . हम न्यायपूर्ण ढंग से जो कर सकते हैं , उतना करते हुए या कर लेने के बाद भय दूर रखते हुए नित दिन जीवन आनंद उठाना चाहिए . 

कितनी भी अच्छी स्थिति ,उपाय और योजनाबध्द रहते हुए भी अनेकों बार भय मस्तिष्क पर हावी होंगे उन्हें सकरात्मक (पॉजिटिव थिंकिंग ) सोच से दूर करते रहना चाहिए . एक चर्चा से इसे हम समझने की कोशिश करते हैं . जो विभागीय चिंताजनक हालात में एक बॉस और उनके मातहत कर्मी के बीच हो रहा है ...

बॉस .. यार, रिटायरमेंट के बाद पेंशन ना मिली तो क्या होगा .
कर्मी ... सर, अभी से कम व्यय करने की आदत डाल लेना उचित होगा .कुछ धन भी बचेगा . आगे भी कम व्यय में जीवनयापन करना सरल होगा .
बॉस ... यह तो संत जैसे उपदेश हैं ..
कर्मी .. (मुस्कुराते हुए ) सर ,मै आपको आगे चोरी कर धन व्यवस्था की सलाह तो नहीं दूंगा .
बॉस ... क्या कोई दूसरी सर्विस हमें नहीं मिलेगी ?
कर्मी ... हम जितने योग्य हैं. हमें सरलता से नौकरी ऑफर मिल सकते हैं . पर पूरे जीवन क्या हम नौकर ही रहना चाहेंगे  ,क्या  अपनी मर्जी के मालिक कभी नहीं बनेंगे . मै तो इस नौकरी के बाद कोई और नौकरी नहीं करना चाहूँगा .
बॉस ...  जो घर के लिए उधार लिया है उस लोन की मेरी किश्तें   फिर कैसे पटेंगी ?
कर्मी ... अन्य रिटायरमेंट बेनिफिट (gpf ,ग्रेचुटी आदि ) से कुछ तो मिलेगा .उससे पूरी कर लीजियेगा .
बॉस चुप हैं  (सोचपूर्ण मुद्रा में )..
कर्मी ... फिर प्रॉपर्टी से भी तो लाभ ही होगा ..
बॉस ... (चिंता से ).. क्या पता .. आगे होगा या नहीं ?
कर्मी ... सर अगर हमारे सभी उपाय और प्रोटेक्शन असफल होते हैं .. तो हमें यह समझना होगा कि भगवान (जिसके जो इष्ट हैं ) ही हमें कष्ट में रखना चाहते हैं . 

इस चर्चा के उल्लेख से यह निष्कर्ष  आता है . हमें उपाय ,योजना तो निरंतर रखनी चाहिए और भयमुक्त रहना चाहिए . फिर भी यदि जीवन कष्ट उठाने होते हैं तो उसे भगवान की इक्छा माननी चाहिए . इस इक्छा के अधीन अनेकों दुःख और कष्ट झेलते हमारे आसपास होते हैं . अगर भगवान इक्छा ही ऐसी है तो इसमें भय मानने से कोई लाभ नहीं है ... 
अच्छा जीवन मार्ग रखें और भयमुक्त जीवन की हम सभी कोशिश करें ...

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