Monday, April 22, 2013

Civil Engineering analogy with Social Engineering


Civil Engineering analogy with Social Engineering 
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बिल्डिंग निर्माण में बीम और कॉलम पर बिल्डिंग मजबूती का भार होता है . दीवारें छत ,फर्श दरवाजे और खिड़कियाँ बीम और कॉलम की मजबूती लेकर उसे सुन्दरता प्रदान करते हैं . रहने और जीवन यापन योग्य बनाते हैं .
हम अपने जीवन को इस  दृष्टि से देखें ..
हमें  ये (निम्नाकिंत ) अच्छे मिले हैं क्या ?
*   माँ पिता ,बहन भाई 
*  धार्मिक ,पारिवारिक संस्कार 
*  खानपान और शिक्षा 
*  आजीविका साधन 
*  धर्मपत्नी या पति 
*  बाद में बच्चे 
अगर इसका उत्तर हाँ है ,तो इन अनुकूलताओं के मिले होने से जिस समाज और देश में हम रहते हैं उसके प्रति हमारे दायित्व बढ़ते हैं . हमें स्वतः सामाजिक दायित्व अपने पर मानने होगें . 

परिवार ,व्यवसाय  या नौकरी में तो हमें कर्तव्य स्मरण कराने वाले बहुत मिलते हैं .हम उन्हें निभाने को बाध्य भी हैं . पर दुर्भाग्य जिस समाज में हम रहते हैं उसके प्रति दायित्व मानना ,निभाना वैकल्पिक ही छूटा हुआ है . अतः आज समाज निर्माण गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है . फिर उसमें बुराई का सामना होने पर सिवाय अन्य पर दोषारोपण के कुछ नहीं किया जा पाता है . दूसरों  को करने के  लिए अनेकों सुझाव और निर्देश होते हैं . अवधि कुछ बीतती है तो पुराना ठंडा पड़ता है और  नए दुष्कृत्य पुराने आरोप प्रत्यारोपों के लिए उत्पन्न हो जाते हैं  . 

हमारा हर कर्म धन अर्जन से प्रेरित है . घर के बाहर निकाला हर कदम धन अर्जन से प्रेरित है . हम धन अर्जन की अपेक्षा छोड़कर भी कुछ घंटे प्रतिदिन कुछ सामाजिक भलाई के कार्य करने का संकल्प लें .समाज को अच्छा बनाने के लिए स्वतः कॉलम और बीम सदृश्य दायित्व ग्रहण करें, जिनसे सहारा पा कर उपरोक्त हमारी तरह उपलब्धता से वर्जित अन्य, समाज में छोटे पर (बिल्डिंग के अन्य मेम्बर सदृश्य ) महत्व का पात्र निभाते इस समाज को अच्छाइयों से आभूषित कर इसे सुन्दरता प्रदान करें .

कुछ कर्म हम धन अपेक्षा के बिना करने का संकल्प अवश्य लें .समाज हित के लिए  कुछ त्याग करें .  सामाजिक दायित्व ग्रहण करें .तभी कुछ और भी प्रेरित हो सकेंगे . और बुराई की कुछ रोकथाम हो सकेगी .

 Civil Engineering के बिल्डिंग निर्माण और Social Engineering  में  समाज निर्माण में इस तरह की समानताएं हैं . पर सर्तकता प्रयोग की जाने वाली वस्तु पर रखनी है . अथाह धन की उपलब्धता में उन्नत रिसर्च और तकनीक तथा वस्तु की मजबूती के कारण बिल्डिंग के यूरोप ,अमेरिका से आयतित मेम्बर (सामान ) सुन्दर और मजबूती के लिए उपयोगी हो सकते हैं  . पर अथाह धन की उपलब्धता से अति विलासिता की प्रवृत्ति के कारण आयतित (संस्कृति)  मेम्बर (संस्कार ) समाज निर्माण  के लिए अनुचित होंगे . इनसे सुन्दर और मजबूत समाज निर्माण के किसी भी प्रयास को सिर्फ निराशा ही मिलेगी .

 अति विलासिता एक तरह की जंग (rust) ( जिस प्रकार लोहे को जंग कमजोर करती है ) है जो मनुष्य में जब लगती है तो मानवता के लिए हानिकर होती है और मनुष्य समाज को कमजोर करती है .

हम समाज निर्माण के लिए सजग होने के साथ  सतर्क भी बने .

राजेश जैन 

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