सभी बनें प्रिय प्रतिभाशाली ऐसे
-----------------------------------
"केवल अपने हित ही जीकर,जो चला गया "
तो फिर क्यों कोई उसके गुणगान करे ?
होगी प्रतिभा किन्तु वह पर की किस काम की ?
प्रतिभाशाली हम उसे कहेंगे
प्रतिभा से अपनी पहचाने जो
कहाँ जरुरत इस प्रतिभा उपयोग की
प्रतिभाशाली हम उसे कहेंगे
मानव समाज का जो भला करे
जो ना देता जीवन अवसर तो
नहीं बनता मनुष्य भिन्न जानवर से
विचारो यह और भिन्नता लाओ
सदकर्म करो कुछ ऐसे, हे प्रिय ,प्रिया
आज जरुरत देश को इस योगदान की
प्रतिभाशाली हम उसे कहेंगे
जो मोड़े रुख मनु भटकाव दिशा का
कदम रोक दे फिसलन पथ पर उनके
प्रतिभाशाली हम उसे कहेंगे
जो आकृष्ट कर सके उस पथ की ओर
जिसके साथ साथ बहती सरिताएं
करुणा ,दया और स्नेह लिए प्रवाह में
आसपास जिसके तरुवर वे सुन्दर
जिनमें फलते फल परस्पर विश्वास के
मध्य क्यारियों में जिसके खिलते पुष्प
बनाते स्थल सुरभिमय जो
प्रतिभाशाली हम उसे कहेंगे
जो बनायें सुन्दर पथ ऐसे
परिवार ,मोहल्ले ,नगर अपने में
न सिर्फ देश अपने में बल्कि पूरे विश्व में
प्रतिभाशाली हम उसे कहेंगे
जो लगाये जन्मजात मनु प्रतिभा को
सर्वहिताय और सर्वसुखाय कर्मों में
जब बनेगा यह समाज , हे प्रिय ,प्रिया ऐसा
हमारा हित होगा अनायास ही पूरा
सभी बनें प्रिय प्रतिभाशाली ऐसे
भावना रखता में , हे प्रिय ,प्रिया आपसे
परहित में जो स्वहित अपने जीकर
जो चला गया हम कहे जायें, जाने पर ऐसा
No comments:
Post a Comment