Sunday, April 21, 2013

अन्य पर दोषारोपण समाधान नहीं


अन्य पर दोषारोपण  समाधान नहीं 
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हमें नहीं लगता सभी हम अच्छे नहीं हैं . किन्तु हमारे अच्छे होने के बाद भी आसपास समाज में बहुत कुछ अच्छा  नहीं है .

* यात्रा पर निकलते हैं . जब तक सकुशल वापिस नहीं पहुँचते कुछ आशंकायें मन में होती हैं .

* बच्चे ,घर के बाहर स्कूल ,कॉलेज या बाजार जाते हैं समय ज्यादा लगा कुछ आशंकायें मन में होती हैं .

* किसी कार्यालय में अपने किसी प्रयोजन का आवेदन लगाया कब हमारा कार्य संपन्न होगा शंका रहती है. 

* सामग्री (दूध ,फल अन्य खाद्य ) क्रय किया शंका ,हानिकर मिलावट तो नहीं होगी ?

* परीक्षा कोई दी , परिणाम में कोई अन्याय तो नहीं होगा हमारे साथ ?

* न्याय-मंदिर में कोई पक्षपात के शिकार तो न होंगे आशंका होती है .

* आधा कि. मी. पैदल चलते हैं ,बच्चे से लेकर बड़ों के मुख से अपशब्द ,गालियाँ सुनने मिलेगीं .
 
 जो आसपास हैं हम अच्छों में से ही तो हैं. फिर क्यों इतने छल ,अविश्वास ,लालचियों और अपराधियों  का भय .
हम अच्छे नहीं हम यह नहीं मानते .दूसरा भी स्वयं को ख़राब नहीं मानता या जानता . फिर आसपास क्यों इतनी खराबियाँ ?
हमारे अच्छे होने के बाद भी आसपास इतनी शंकाएं ,आशंकाएं और खराबियां , संकेत करती हैं हमें और अच्छा बनना चाहिए .

हम सभी को और अच्छा बनना चाहिए .
अन्य पर दोषारोपण की प्रवृत्ति कोई समाधान ना दे सकेगी .नहीं बदलेंगे तो दिनोदिन बदतर होगीं परिस्थितियाँ .

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