Sunday, April 21, 2013

सीता स़ा चरित्र


सीता स़ा चरित्र
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पूजे जाते मर्यादा पुरुषोत्तम राम युगों से देश में 
हाय विडंबना बनता
 मनुज रावण जहाँ तहाँ आज 
कहलाती पूज्या ,वन्दनीय और जननी नारी लेकिन
घिघियाती वह लाज बचाने परपुरुष सम्मुख आज

पुरुष साथी हमारे, घर के बाहर भी बनो मुखिया
उठालो अपने कन्धों पर जिम्मेदारी समाज की
जन्मते, रह कोख में नौ माह देकर वेदना जिन्हें
उतारें हम ऋण मिटा पीड़ा उन 
निर्दोष नारी की 

बार बार कर रहे नारी लाज को तार तार, उन्हें
सिखलायें सबक, दंड प्रताड़ना वैसी ही देकर
ना करे फिर कोई निरादर, अत्याचार उन पर  
प्रभावी रोकथाम हेतु शपथ लें सब मिलकर 

तजें, अगर बुरी दृष्टि, कामना 
स्वयं हमारी यदि 
फिर रोकें देखने,परोसने अश्लीलता माध्यमों पर 
रोकें नशे ,नशीली सामग्री निर्माण, व्यवसाय की 
दुष्प्रभाव में जिसके होते नित अपराध अबला पर 

जीवन मजे के लिए और मजे सिर्फ दैहिक संबंधों में 
आधुनिकता के नाम प्रचारित विकृत धारणा ये बदलें  
सीता स़ा पत्नी-चरित्र चाहें, पर नारी सीता श्रध्दा से देखें
सच्ची राम भक्ति होगी यह मर्यादा पुरुषोत्तम के देश में 





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