Sunday, April 7, 2013

मित्रो को पत्र


मित्रो को पत्र 
---------------

किसी दिन फेसबुक फ्रेंड की संख्या बढ़ाने के प्रयास में मैंने आपको ऐसे ही फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा ,जिसे आपने सहृदयता से एक्सेप्ट किया . मैंने जो विचार और प्रस्तुतियां या सन्देश आपको लिखे उन्हें भी पुनः सहृदयता से ना सिर्फ आपने पढ़ा ही अपितु मेरा उत्साह भी बदाया .  

अपरिचित रहते बहुत गहन परिचितों सा और परिजनों सा सहयोग आपने दिया है .
इस बीच आज आपके फ्रेंड में से एक का रिक्वेस्ट मुझे प्राप्त हुआ ,मैंने उन्हें add कर लिया . मित्र बढ़ाना सिर्फ इसलिए चाहता रहा हूँ ,ताकि वे विचार जिन्हें मै अच्छे मानता हूँ ,ज्यादा में फैलाना चाहता हूँ .व्यक्तिगत स्वार्थ ना रख इसे मानवता और समाज हित में  मानता हूँ . 
मुझे इस का अनुभव है कि इन्हें पढना ज्यादा पसंद नहीं किया जाता . और पढ़कर कोई इसे अच्छा भी माने  तो उन्हें पालन करना आज ठीक नहीं समझता .फिर भी ऐसी कोशिशें मेरा मानना है निरर्थक इसलिए नहीं है क्योंकि आज अच्छे विचार और सिध्दांतों का अस्तित्व मिटता जाता है . अतः कोई ना भी ज्यादा गंभीरता दे और प्रकट में कोई लाभ ना भी दर्शित हो तो भी हमारे ये प्रयास इन्हें अस्तित्व में तो रख ही सकते हैं .

 हो सकता है समय चक्र बारी से पुनः इन्हें गौरव शाली स्थान पर कभी ला दे . तब तक कोई- कोई ही सही जैसे तैसे इन्हें जीवन्तता प्रदान करे . 

सादर,
राजेश जैन 

No comments:

Post a Comment