रावण होता तो वह भी शर्माता
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रावण महाविद्वान था ,इसका अहंकार भी उसे था . सीताजी को उठा ले जाने के बाद भी उसने जबरन शील नष्ट भी नहीं किया .
लेकिन अहंकार और सीताजी -हरण के कारण उसे बुरा माना जाता है . इसलिए बुराई के प्रतीक में उसका जिक्र हो रहा है .
आज की बुराई तो ऐसी हैं जिन्हें देख रावण होता तो वह भी शर्माता .. बल्कि शर्म के मारे मर जाता .. श्री राम की आवश्यकता नहीं होती रावण वध के लिए .
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