Friday, February 9, 2018

छली आज की इस दुनिया में - लोग छलने के आदी हुए
भरोसा किया जब किसी पर हमने - तब ही हम छले गए

हमारा हर किया-कहा-लिखा - कभी आदर्श नहीं होगा
सत्य की कसौटी पर - तुम्हारा परखना मुनासिब होगा

ख्वाहिशें चला देती थीं हमें - ज़िंदगी की मुश्क़िल राहों पर
मुश्क़िलों से घबड़ा ख्वाहिशें जो छोड़ी - ज़िंदगी रुक गई है

आँखे जो बंद की मैंने - एक मँजर ख़ुशनुमा सामने था
ख़ुद को देख लिया मैंने - मुझमें-तुममें फ़र्क कोई न था

ऐसी नज़र मेरी हो -
कि जो पास बैठे मेरे -
लिंग-भेद का बोध - उसे न हो

मुहब्बत है उनसे मगर - उनके गले पड़ना पसंद नहीं
चाहते हैं उनको मगर - उन्हें परेशां करना पसंद नहीं

मेरी मोहब्बत कोई शर्त नहीं - कि
मुझे है उनसे तो - वे मुझ से मोहब्बत करें









 

No comments:

Post a Comment