Thursday, February 8, 2018

कब तक कमियों के लिये ग़मगीन हम रहें
तुम हमारे नहीं तो क्या ज़िंदगी नहीं जियें

खुशियों का आगमन तो होता - तुम्हारे ज़िंदगी में आने से
पर यह भी नहीं कि बिन तुम्हारे - कोई खुशियाँ न आयेंगी

अच्छे हो तुम कि - ज़िंदगी में न आये तुम
आते मगर बेवफ़ाई करते तो - बुरा लगता

देखा है आजकल - इक ज़िंदगी में बहुतों का आना-जाना हुआ
देखा है यह भी कि - दग़ाबाज़ी से चला जाना तबाह करता है

माँ बाबूजी सा निःस्वार्थ प्रेम कहीं मिलता नहीं
जग में माँ बाबूजी सा हितैषी हमारा होता नहीं
कवि - साहित्यकार यों तो लिखते महिमा उनकी
पर पर्याप्त शब्द उनके बखान में कोई होता नहीं

तुम जी लेना - जीवन अपनी खुशियों में
माँ बाबूजी भी देख खुश - तुम्हें खुश होंगे
कोई भी काम करो - जीवन में स्वतंत्र तुम
न करना - कलंकित हों वे माँ-बाबूजी होने में

जीवन में किसी की महिमा से मात्र - चमकृत ही तुम नहीं रहना
तुम्हें जीवन मिला उनसा ही - महिमामयी काम तुम भी कर देना

इतने विचार भरे दिल में - आ तुम भी लिख जाओ
जरूरत इक विचार की - दिलों से नफ़रत मिटा जाये



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