Sunday, February 4, 2018

सामने जब तुम होगे - नज़र तुम पर भी जायेगी
सुख-दुःख तुम्हारे देखेंगे - गलत तुम न समझ लेना

मिलने-जुलने वाले हजारों होते - पर संकीर्णता घुस आई है
सामने वाले से - अविश्वास,कामुकता का भय बना रहता है

चलो एक नेक काम तुम करो - एक नेक काम हम करते हैं
क्या मिलता संतोष इसमें - -फिर आज हम-तुम शेयर करते हैं

अपमान,असफलता,धोखे होते कड़ुवे - उन्हें तुरंत भुला चाहिए
औरों को सफ़ल देखना,आदर,भरोसे से - हमें पेश आना चाहिए





 

No comments:

Post a Comment