ज़िंदगी का हर लम्हा खुशियों से जीना मुश्क़िल - मगर
जिन में खुशियाँ जी सकते हैं - हम उसमें भी नफ़रत चिढ भर लेते हैं
ज़िंदगी का हर लम्हा खुशियों से जीना मुश्क़िल - मगर
जिन में खुशियाँ जी सकते हैं - हम उसमें भी नफ़रत चिढ भर लेते हैं
ज़िदगी में है सबको जब - मोहब्बत की दरकार
क्या है उनके दिल में - जो खूनखराबा चाहते हैं
मोहब्बत ही चाहते हैं जब - हम अपने लिए सबसे
क्यों करते मदद उनकी - जो मौत बाँटने को मज़हब कहते हैं
जिन में खुशियाँ जी सकते हैं - हम उसमें भी नफ़रत चिढ भर लेते हैं
ज़िंदगी का हर लम्हा खुशियों से जीना मुश्क़िल - मगर
जिन में खुशियाँ जी सकते हैं - हम उसमें भी नफ़रत चिढ भर लेते हैं
ज़िदगी में है सबको जब - मोहब्बत की दरकार
क्या है उनके दिल में - जो खूनखराबा चाहते हैं
मोहब्बत ही चाहते हैं जब - हम अपने लिए सबसे
क्यों करते मदद उनकी - जो मौत बाँटने को मज़हब कहते हैं
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