Thursday, February 22, 2018

बसंत से - आयु कहने की परंपरा
हम "बीस बसंत देख चुके हैं" , अब तक - इस तरह से आयु बताने की परंपरा हमारी संस्कृति में रही है। सभी भारतीय के जीवन में अभी फिर बसंत देखने का अवसर आया है। प्रातः बसंत की गुलाबी ठंड , पेड़-पौधों पर उतर आई सुंदर प्रकृति इंद्रधनुषी नयनाभिराम छटा। प्रातः गूँजता बचे हुए पक्षियों का कर्णप्रिय कलरव। लेकिन इन सबकी सुखद अनुभूतियों का आनंद लेने हम प्रातः जागते ही नहीं। जो जागते हैं - और प्रातः कालीन भ्रमण पर आकर वह भी - बसंत के आनंद को हृदय से अनुभव करने के स्थान पर - राजनैतिक , आर्थिक , सिने और खेल चर्चा को प्राथमिकता देते हैं। आडंबर के इस खेद जनक युग में आर्थिक विषय इतना प्रधान हो गया है कि जीवन को मिला नैसर्गिक - प्राकृतिक वरदान गौड़ हो गया है।
यही कारण है कि हम आयु बसंत के आधार पर कहने की परंपरा भुला चुके हैं। अब हमारा जीवन "दौलत के बसंत" के शब्दों में कहा जाता है यथा - हम करोड़पति हैं , अरबपति हैं , आदि ....
--राजेश जैन
23-02-2018

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