Sunday, February 25, 2018

पुण्य का उदय - धन वैभव रूप भी मिलता है
श्रेयस्कर किंतु - आत्म-कल्याण रूप मिलना होता है

धन-वैभव में जब सुख नहीं यह ज्ञात हो जाता है
आत्म-कल्याण - तब हमारे संकल्प में आ जाता है

पुण्य कर्मों का 'धन-वैभव' रूप मिला फल , अधपका होता है
जबकि 'आत्म-कल्याण' रूप मिला फल , पका(मीठा) होता है



 

No comments:

Post a Comment