Monday, February 26, 2018

कभी पसंद रहे फिर नापसंद - का गणित बड़ा सरल लगता है
उसके हित में कोई अच्छाई नहीं बचती - तब वह हमें नापसंद कर देता है


किसी को नापसंद हम - हम में कोई हीनता की बात नहीं
उसकी दृष्टि में कमी - अपनी ही देखता हमारी अपेक्षायें वह देखता नहीं


आसमां से बरसें ओले, ठिठुरती ठंडी या शोलें - उपाय जमीं पर करने होंगे
आसमां पर बंधन नहीं - वह जीवन प्रकाश औ जल भी दिया करता है


जिंदगी या नाम - भले छोटे हों , पर काम बड़े होने चाहिए
इंसान जन्में हैं हम तो - काम इंसानियत के होने चाहिये

इतना गहन दर्द - बयां क्यों करते हैं
ख़ून बहना नापसंद हमें - चाहे लफ़्ज़ों से ही बहता हो

वफ़ा की दलील - ज़िंदगी है मौत नहीं
मोहब्बत ज़िंदगी का लुफ़्त है - अलविदा नहीं 

मोहब्बत में "दर्द" की जिरह में - चाहे में हार जायें हम
मोहब्बत से मिले "खुशियाँ" - की जिरह करते रहेंगें हम

मोहब्बत में खुशियाँ चाहे - साथ या अलगाव में मिले
अलगाव भी हमें पसंद कि - अहम "मोहब्बत" होती है



 

No comments:

Post a Comment