Sunday, February 11, 2018

जिस लम्हा तुम्हारी - कोई दिलीय हसरत पूरी हो
उसी लम्हा - 'सबमें हो मोहब्बत' , देखने की तुम हसरत पैदा करो

इंसान हम किसी को ज्यादा - किसी को कम तो चाहेंगे
पर कम इतना हो कि - नफ़रत नहीं दिल में हमारे मोहब्बत हो

एक देश रहा - अब अलग ख़ूनी पाकिस्तान , नफरत में समाधान चाहता है
अनेक माँ की गोद - अनेक का सुहाग उजड़ता , पाकिस्तान का क्या जाता है

फूलों के मार्फ़त ग़र - 'पैग़ाम ए मोहब्बत' कही जायेगी
बताओ हमें क्या दगाबाज़ कोई - फ़ूल नहीं ख़रीद लेगा??

फूल तुम्हें पेश करने वाला - हर कोई वफ़ा नहीं होगा
जो न दे सका फूल तुम्हें - नहीं जरूरी बेवफ़ा ही होगा

नहीं आना फूलों के झाँसों में - फूल चाहे ले लेना
मोहब्बत परखने को मगर - तुम वक़्त जरूर लेना

तुम परखना कि फूल वाले हाथ - जिस्म टटोलने को उतावले तो नहीं
ऐसे ही हाथों ने मोहब्बत के मायने बदल दिये हैं - तुम याद रख लेना

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