सादा- एक विचार
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हमारी सोच ,यदि समस्या को दुखड़े के रूप में लेने की होती है,
तो हम दुखड़े - अपनों के बीच रोते हैं।
इससे अनायास ही उन्हें भी दुखी करते हैं।
अपनी समस्याओं और बहुत से ज्यादा वंचितों की समस्याओं की
यदि हम तुलना करें तो , हम कहीं ज्यादा सुखी होते हैं।
अतः विचार करने की पध्दति यदि ऐसी रखें , जिसमें हम धीरता रखें,
तो न हम दुखी होंगे , और ना अपनों को अनायास दुखी करेंगे।
जीवन के हर पल में सुख देखने की कोशिश करें ,तो
हम अपने और अपनों का जीवन को ज्यादा सुखद बना सकेंगे और
अपना मनुष्य जीवन हम ज्यादा सफल कर सकेंगे।
--राजेश जैन
05-07-2015
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