Friday, July 3, 2015

असुविधा में ,मैं नारी हूँ


असुविधा में ,मैं नारी हूँ
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तुम करते *कटाक्ष मुझ पर, #दृष्टि से आहत करते हो
दूभर ,मेरा उठना ,बैठना , दूभर चलना कर देते हो

आचार ,विचार ,कर्म अपने ,नहीं ठीक तुम करते हो
सुरक्षा बहाने से मुझे ,मुझमें सिमटी रहने कहते हो

जो चाहरदिवारी में रहतीं ,गृहहिंसा उन पर करते हो
बाहर आईं उनपे ,फुसलाकर दैहिक शोषण करते हो

माँ ,बहन ,पत्नी ,बेटी मैं हूँ ,उचित प्रबंध न करते हो
आत्मविश्वास से जी लूँ मै ,समाज सुधार न करते हो
(नोट -यहाँ ,*कटाक्ष =छेड़छाड़ ,#दृष्टि =बुरी नीयत )
--राजेश जैन
03-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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