Friday, July 31, 2015

तुम ऐसा करते हो - हम ऐसा चाहती हैं

तुम ऐसा करते हो - हम ऐसा चाहती हैं
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आजीविका की तलाश को गलत दिशा भटकाते हो
लाचार की देह भोगकर चंद सिक्के थमा जाते हो
आइटम सांग , चीयर लीडर और विज्ञापनों द्वारा
नारी की ,देह दिखा ,अपना कारोबार ,चमकाते हो
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हम पढ़कर बढ़कर स्वाभिमान से कमाना चाहती हैं
तन पर ललचा कर ,व्यभिचार ,नहीं बढ़ाना चाहती हैं 
माँ ,बहन ,बेटी ,पत्नी की पारिवारिक भूमिका में
परिजन पुरुष से ,मिल जुल ,हाथ बाँटना चाहती हैं
--राजेश जैन
01-08-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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