Wednesday, July 22, 2015

तब समझेंगे ?

तब समझेंगे ?
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क्या होता है ? घृणित हादसे का शिकार हो जाना
क्या होता है ? अकाल मौत ,परिजन का चले जाना

क्या होता है ? बेटी पे अन्याय की पीर सीने में रख जीना
क्या होता है ? रेपिस्ट परिवार होने का कलंक लग जाना

पल पल स्मृति रुलाती ,छवि आँखों में रहती जीवन भर
बेटे के घृणित कर्म  ,झुका देते शर्म से सिर ,कब समझेंगे ?

घर घर की बहन बेटी पर होगी ,ऐसी विपदा तब समझेंगे ?
घर घर रेपिस्ट ,मर्डरर जन्मेगा लगे कलंक ,तब समझेंगे ?
--राजेश जैन
23-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
अंतिम दो भयावह पँक्तियों पर स्पष्टीकरण - इस परिदृश्य की कल्पना ने मुझे सर से पाँव तक सिहरा दिया है । आशा यही है ,यह सिहरन करने वाला परिदृश्य कभी यथार्थ नहीं हो सकेगा। लेकिन मैंने , उन परिवार की पीर दर्शाने का प्रयत्न किया है , दुःखद ऐसी घटना का कटु यथार्थ जिन्होंने जीवन में जिया है। क्यों , हमारे होते हुए , हमारे समाज /राष्ट्र का कोई परिवार ऐसा अभिशप्त जीवन जीने को बाध्य होता है ?

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