पुरुष-नारी और विडंबना
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पुरुष को रौनक नहीं लगती ,जब नारी आसपास न होती है
जीवन में रौनक नहीं लगती ,जीवनसंगिनी साथ न होती है
विडंबना पुरुष की रूचि नारी में पर ,करतूतें विपरीत होती हैं
जिन बातों में प्यार आता नारी पर ,कृत्यों से वे नष्ट होती हैं
नारी प्यार में बड़े होते ,पुरुष प्यार की छाँव से सुखी होते हैं
पुरुष जबरदस्ती से ,नारी के सुंदर नयनों में अश्रु भरे होते हैं
छेड़छाड़ ,रेप ,हिंसा से नारी का खिला मुख कुम्हलाता है
लाज चरित्र के धवल आँचल पर कलंक कालिख लगाता है
--राजेश जैन
19-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
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पुरुष को रौनक नहीं लगती ,जब नारी आसपास न होती है
जीवन में रौनक नहीं लगती ,जीवनसंगिनी साथ न होती है
विडंबना पुरुष की रूचि नारी में पर ,करतूतें विपरीत होती हैं
जिन बातों में प्यार आता नारी पर ,कृत्यों से वे नष्ट होती हैं
नारी प्यार में बड़े होते ,पुरुष प्यार की छाँव से सुखी होते हैं
पुरुष जबरदस्ती से ,नारी के सुंदर नयनों में अश्रु भरे होते हैं
छेड़छाड़ ,रेप ,हिंसा से नारी का खिला मुख कुम्हलाता है
लाज चरित्र के धवल आँचल पर कलंक कालिख लगाता है
--राजेश जैन
19-07-2015
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