नारी जीवन पल पल आशंकित
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यों तो जिसने जीवन पाया ,आशंकित वो रहता है
नारी हो जो जीव जन्मा ,ज्यादा आशंकित रहता है
गर गर्भ में कन्या भ्रूण ,जन्मेगा? आशंकित होता है
जन्मा तो समानता से देखा जाएगा आशंकित होता है
नारी-जीव सूने में ,रात्रि में चलने पर आशंकित होता है
वह भीड़भाड़ में छेड़छाड़ के खतरे से आशंकित होता है
बाँह पसार ले या खुल कर हँस ले तो आशंकित रहता है
कैसा है समाज ,नारी जीवन पल पल आशंकित रहता है
--राजेश जैन
04-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
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