Saturday, July 18, 2015

ऐसा हो-नारी सम्मान का समाज

ऐसा हो-नारी सम्मान का समाज
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हमारी पीढ़ी को सुनलो तुम ,नया इतिहास यह रचना है
अगर भाग्य ख़राब नारी का ,हमें दुर्भाग्य वह बदलना है

उन्नति के अवसर हों जिसमें ,वस्तु रूप न देखी जाये
अपना समझ अर्पित होती उन्हें दासी न समझी जाये

पढ़ने के अवसर सुलभ हों आजीविका अर्जित कर पाये
रोक टोक पहनने ओढ़ने की न उन पर अब थोपी जाये

प्रभावशाली ,सुंदर ,शालीन दिखे ,प्रशंसा की दृष्टि से देखी जाये
एकतरफा उनसे प्यार रखो ,अगर सँवरे रूप पे तुम्हें प्यार आये 

जितने तैयार प्यार करने उनसे ,उतनों से प्यार वह न कर पाये
पति से प्रेम समाज सम्मत ,सुविधा से निभाने उन्हें दिया जाये

सम्मान सुरक्षा हो हर जगह ,समय-असमय वह आये जाये
श्रध्दा-सहारा हो प्राप्त उन्हें ,निष्ठा से साथ जब वह निभाये
--राजेश जैन
18-07-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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