Tuesday, May 6, 2014

इंसान के चोले में जब इंसान ही बसा होगा

इंसान के चोले में जब इंसान ही बसा होगा
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हम से अलग होता कोई
दुःख तब हमें होता है
दुःख हमारा बढ़ता और
जब प्रिय वह सुखी नहीं
दुःखी अधिक होता है

राष्ट्र एक जुदा बना
सुखी वह नहीं रह पाया
हमारा था प्रिय क्षेत्र
बाँटा भी सुखी न रह पाया


हम पीड़ा में हमारा प्रिय
हमसे दूर चला गया था
जाते हुये अंग भारत का
जुदा हमसे करके गया था


 दिल पर पत्थर रख लिया
 खुशहाली वहाँ होती तो
 संतोष हम कर लेते थे


 खुदगर्ज कृतघ्न अब वह
 हमारे सुख से जलता है
 दुष्ट स्वयं वह , हमें दुष्ट
 विख्यात किया करता है


 खेप नकली नोटों की और
भेज उपद्रवी हमारे यहाँ
भेज नशाकारी पदार्थोँ को
हमें दुखी वह करता है


इंसान तो जो बसते हैं
मगर हैवानियत  करते हैं
मुल्क तभी सुखी होगा
इंसान के चोले में जब
इंसान ही बसा होगा


मतभेदों से मुक्ति को
जुदा होना ना समाधान है
आपस में समझ बढ़ायें
सुख हेतु यही समाधान है


--राजेश जैन
06-05-2014

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